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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अब दूसरी बात लें। सरकार जिन निहित स्वार्थीकी रक्षा चाहती है, उनपर इस सूचनाका गहरा असर होगा, क्योंकि :

(१) सूचना भारतीयोंके आजके सारे परवानोंको नहीं मानती ।

(२) वह बाजारोंके बाहर एकके नामका परवाना दूसरेके नामपर बदलनेका हक नहीं देती ।

(३) उसमें यह साफ नहीं बताया गया है कि किन्हें अपने परवाने नये करवाने हैं-- बाजारोंके बाहर व्यापार करनेके परवाने जिनके पास थे, केवल उन्हींको या उन सबको, जो युद्धके पहले बाजारोंके बाहर व्यापार करते थे -- चाहे उनके पास परवाने रहे हों या नहीं।

(४) यह भी साफ नहीं है कि जो पेढ़ी लड़ाईसे पहले बाजारोंके बाहर व्यापार कर रही थी उसके सभी साझेदारोंको नये परवाने मिल सकते हैं या किसी एकको ।

(५) उसमें छूट केवल निवासकी है।

संघ उपर्युक्त मुद्दोंपर थोड़ी चर्चा करनेकी इजाजत चाहता है।

(१) सुचना भारतीयोंके आजके सारे परवानोंको नहीं मानती ।

यह मुद्दा इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसपर जितना भी जोर दिया जाये, थोड़ा ही होगा । आजके बहुतसे परवानेदारोंके लिए यह जीवन-मरणकी वस्तु है । कुछ परवानेदार भारतीय शरणार्थी ट्रान्सवाल वापस लौट गये थे। उनको ऐसे शहरोंमें व्यापार करनेके परवाने दिये गये, जहाँ वे पहले व्यापार नहीं करते थे । ये परवाने उनको ब्रिटिश अधिकारियोंने पूरे वर्षके लिए बिना किसी शर्तके दिये थे । परन्तु पिछले वर्षके अन्तमें कुछ शहरोंमें मजिस्ट्रेटोंने उनको सूचना दी है कि वे परवाने नये नहीं किये जायेंगे । भारतीय शिष्ट-मण्डलने पिछली बार खास तौरसे श्री चेम्बरलेनका ध्यान इस बातकी तरफ दिलाया था। उन्होंने बड़े जोरसे आश्वासन दिया था कि इन परवानोंको सही माना जायेगा और ये नये किये जायेंगे । फिर भी उस सूचनाके अनुसार वर्षके अन्तमें ऐसे सब व्यापारियोंको बाजारोंमें भेज दिया जायेगा । परमश्रेष्ठका ध्यान इस बातकी तरफ शिष्ट-मण्डलने दिलाया था । उन्होंने जवाब दिया था कि वे इसपर विचार करेंगे । इनमेंसे कुछ व्यापारियोंका कारोबार यहाँ बहुत लम्बे समयसे है । लम्बी मियादोंके पट्टोंपर उन्होंने भरोसा किया --- सपनेमें भी यह शंका नहीं थी कि ब्रिटिश हुकूमतकी छायामें उनके पट्टोंकी मियाद खतरेमें पड़ जायेगी। इसके विपरीत कुछ ऐसे पुराने व्यापारी हैं जिनके पास लड़ाईके पहले बाजारोंसे बाहर व्यापार करनेके परवाने थे। वे अभीतक ट्रान्सवालमें लौटकर नहीं आये हैं । फिर भी इनके परवानोंका खयाल किया जा रहा है। हमारी नम्र सलाह यह है कि जो लौटे नहीं हैं उनकी अपेक्षा सम्भव हो तो इन व्यापारियोंका विशेष खयाल किया जाये। क्योंकि, पहले मामलोंमें, अपेक्षाकृत नया आदमी होनेपर भी उसका व्यापार जम गया है। दूसरा व्यापारी जरूर पुराना है, परन्तु उसे अपना व्यापार नये सिरेसे प्रारम्भ करना होगा । इसलिए हमारी विनती है कि दूसरे प्रश्नोंके बारेमें परमश्रेष्ठ जो भी निर्णय करें, इस प्रश्नके विषयमें सम्बन्धित व्यापारियोंके पक्षमें हुक्म दिया जाना चाहिए।

(२) वह बाजारसे बाहर परवाने बदलनेका अधिकार नहीं देती ।

सूचना लड़ाईसे पहले व्यापार करनेवालोंके अधिकारोंकी परवाह करती है, और नहीं भी करती। क्योंकि उसमें परवानेदारके निवासकी अवधितक ही नये परवानेकी गुंजाइश है। ज्यों ही वह सोचे कि उसका व्यापार ठीक जम गया है, उसकी साख कायम हो गई है और अब