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टिप्पणियाँ: परीक्षात्मक मुकदमे पर

राजनीतिक अधिकारियोंके नियन्त्रणमें है; और दूसरा रक्षित ब्रिटिश भारत, जहाँ जनता और राजनीतिक अधिकारियोंके नियन्त्रणमें है; और दूसरा रक्षित ब्रिटिश भारत, जहाँ जनता और ब्रिटिश अफसरके बीच एक मध्यस्थ है। तथापि, हमारे मतलबके लिए भारतके इन दोनों भागोंके निवासी समान रूपसे ब्रिटिश प्रजा है और भारतके बाहर उन्हें एक-ही विशेषाधिकार प्राप्त है। यह पहलू कोई भी नक्शा या प्रामाणिक भूगोल-पुस्तक पेश करके, या ब्रिटिश एजेंटकी गवाही लेकर भी, साबित किया जा सकता है। इसके अलावा, वादीने अक्सर ब्रिटिश भारतीय व्यापारीकी हैसियतसे ब्रिटिश एजेंटोंके साथ व्यापार किया है, और उसकी यह हैसियत स्वीकार भी की गई है।

ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी ओरसे रानीको जो प्रशस्त अभिनन्दनपत्र भेजा गया था, उसमें दूसरे लोगोंके साथ वादीके भी हस्ताक्षर थे। यह भी ब्रिटिश एजेंट साबित कर सकता है। और यदि यह उपाय ठीक समझा जाये और मंजूर किया जाये तो, और कुछ हो या न हो, इससे मामलेको थोड़ा गौरव तो मिल ही सकता है।

मुझे बताया गया है कि एक बार एक मजिस्ट्रेटने वादीसे एक फार्म भरवाया था। उसमें वादीने अपना परिचय ब्रिटिश प्रजाके रूपमें दिया था। और यह उस अफसरने स्वीकार किया था।

बाबत (ख)

मालूम होता है कि १८८२ में वादी तैयब इस्माइलका साझेदार था। १८८३ में वह अबूबकर अमद और कंपनी में शामिल हो गया और प्रिटोरियामें इस पेढ़ीके व्यापारका आवा- सिक साझेदार और व्यवस्थापक रहा। १८८८ में अबूबकर अमद और कम्पनी तैयब हाजी अब्दुल्ला और कम्पनीके रूपमें बदल गई; और १८९२ से वादी तैयब हाजी खान मुहम्मद और कम्पनीके नामसे, साझेदारोंके साथ या बिना साझेदारोंके, व्यापार करता आ रहा है। ट्रान्सवालमें उसका दूसरा कारोबार भी था, और है। बहुत-से गवाह इसे साबित कर सकते हैं। यह भी सम्भव है कि साझेदारीके कागजात, या अगर परवाने दिये गये हों तो वे भी, पेश किये जा सकें।

बाबत (ग):

वादी अपनी निजी या अपने कब्जेकी जायदादका कर नियमित रूपसे अदा करता रहा है। उसे कभी अपराधी नहीं ठहराया गया। करोंकी रसीदें पेश की जा सकती है। मैं मानता हूँ, वादीने सैनिक कार्रवाई सम्बन्धी कर में भी अपना हिस्सा अदा किया ही होगा। उसने अपनी दूकानको अच्छी आरोग्यजनक अवस्थामें रखा है। डा० वील इसकी गवाही दे सकेंगे।

बाबत (घ), (ङ) और (च):

यदि (क) को सिद्ध कर दिया गया, अर्थात् अगर वादीका ब्रिटिश भारतीय होना साबित कर दिया गया, तो (घ), (ङ) और (च) आप ही सिद्ध हो जाते हैं। क्योंकि, यदि वादी भारतीय है तो वह न अरब हो सकता है, न मलायी ही; और अगर वह ब्रिटिश प्रजा है तो तुर्की प्रजा नहीं हो सकता। इससे इनकार नहीं किया गया कि वह मुसलमान है, और उलझन इसी कारण पैदा हुई है। किसी भी तरह क्यों न हो, दक्षिण आफ्रिकाके लोग भारतीय मुसलमानोंको अरब और तुर्की प्रजा समझने लगे हैं। वादी दोनोंमें से कोई भी नहीं है। वह न कभी अरब गया और न तुर्की। अरब वह तीर्थ यात्रा करने भी नहीं गया। भारतीय अरब या भारतीय मलायी होना तो असम्भव ही है। मेरी जानकारी तो यह है कि मलायी लोग

१.देखिए खण्ड २, पृष्ठ ३५४ ।

२. १८६४ में काफिर मुखिया मलावोकके विरुद्ध बोअरोंकी सैनिक कार्रवाईके समय ट्रान्सवालमें वसूल किया गया एक कर ।

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