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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

भारी बनानेके लिए समय-समयपर पेश किये जा रहे हैं, भले ही निराशाके भाव प्रकट कर सकते हैं।

परम माननीय श्री जोज़ेफ़ चेम्बरलेन दक्षिण आफ्रिकामें शान्ति-स्थापकके रूपमें पधारे थे । उनसे भारतीयोंके अनेक शिष्ट-मण्डल मिले थे । प्रत्येक शिष्ट-मण्डलको उन्होंने आश्वासन दिया था कि ब्रिटिश भारतीय न्याय और सम्मानयुक्त व्यवहारके अधिकारी हैं। हमारा निवेदन है कि वे इन नियमोंपर गौर फरमायें। भारतीय खलासियोंको काम देनेके बारेमें उन्होंने आस्ट्रेलियाई राष्ट्र परिवारको एक खरीता भेजा था। इस खरीतेके लेखकके नाते भी हमारी उनसे विनती है। लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनने अनेक बार दक्षिण आफ्रिकामें बसे हुए भारतीयोंके प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है। उनसे भी हमारी अपील है । हम लॉर्ड मिलनरसे भी अपील करते हैं कि वे हमारी रक्षाके लिए आयें। वे दक्षिण आफ्रिकाके उच्चायुक्त हैं। इस हैसियतसे, हम मानते हैं, उनका यह कर्तव्य है कि, वे साम्राज्यकी व्यापक नीतिकी रक्षा करें और जहाँतक दक्षिण आफ्रिकासे सम्बन्ध है, इस बातकी सावधानी रखें कि यहाँ भी उसका बराबर पालन हो; और जैसा कि उन्होंने खुद भारतीय शिष्ट-मण्डलसे कहा था, इस मुश्किल प्रश्नको न्याय और औचित्यके आधारपर हमेशा के लिए हल कर दें ।

ये विनियम भारतीय समाजको एक और विचार देते हैं कि, ब्रिटिश साम्राज्यमें जो प्रजाजन अपने अधिकारोंकी रक्षाके लिए सतत सावधान नहीं रहेंगे वे अनेक प्रकारकी पेचीदा माँगोंके बीचमें पिस जा सकते हैं। इसलिए ब्रिटिश भारतीयोंके लिए अत्यन्त आवश्यक है कि वे सदा सावधान रहें, और जब कभी उनके अधिकारोंको कम करनेके प्रयत्न हों तब जो भी अधिकारी हों उनके समक्ष अपना विनम्र विरोध तो कमसे-कम प्रकट कर ही दिया करें । उनका काम माँगता है । इस बातकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए कि उनकी माँगें मंजूर होती हैं या नहीं। माँग पेश करनेसे ही कर्तव्य पूरा हो जायेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९०३

२७७. मजदूर आयातक संघ

हम अन्यत्र मजदूर आयातक संघ (लेबर इंपोर्टेशन असोसिएशन) की विज्ञप्ति दे रहे हैं। इसपर श्री जी० एच० गॉश, जे० डब्ल्यू० लिओनार्ड के० सी० और ट्रान्सवालके कुछ अन्य विचार-नेताओंके दस्तखत हैं। श्री क्विनकी विज्ञप्तिसे लगी-लगाई यह विज्ञप्ति निकली है । अगर हमसे कोई पूछे कि इन दो में से आप किसे चुनेंगे, तो बिना पसोपेशके हम अपनी राय श्री क्विनकी विज्ञप्तिके पक्षमें देंगे। श्री गॉश जैसे विस्तृत सहानुभूति रखनेवाले और श्री लिओनार्ड जैसे संस्कारशील तथा मानव प्रकृतिका व्यापक अनुभव रखनेवाले सज्जनोंके दस्तखतोंको उस विज्ञप्तिके नीचे देखकर सचमुच बड़ा दुःख होता है, जिसमें एक बदले हुए रूपमें गुलामीका समर्थन किया गया है और बेचारे गिरमिटिया मजदूरोंके पक्षमें एक भी शब्द नहीं है ।

यह विज्ञप्ति भारतीयोंके लिए दिलचस्पीका विषय है; क्योंकि लॉर्ड मिलनर भारतसे मजदूर लानेकी इजाजत पानेके लिए उपनिवेश मंत्री तथा भारत-मंत्रीके कार्यालयोंसे पत्र-व्यवहार कर रहे हैं । यह तो स्पष्ट है कि संघने आफ्रिकाके बाहरसे मजदूर लानेकी जो शर्तें निर्धारित की हैं, वे भारतीय मजदूरोंके लाये जानेपर भी लागू होंगी। अब अगर हम गुलामीका ठीक