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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

हम आशा करते हैं कि ट्रान्सवालके इन उपनिवेशियोंको उनकी इच्छाके विरुद्ध भी, इस अन्यायभरी तथा ईसाईजनों और ब्रिटिशोंके लिए अशोभनीय वृत्तिसे बचाया जायेगा । स्वार्थवश आज उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा है ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९०३

२७८. मेयरोंका शिष्टमण्डल: सर पीटर फॉरकी सेवामें

यह शुभ लक्षण है कि, कमसे-कम केपमें, सर पीटर फॉर अपने-आपको वर्तमान दुर्भावसे मुक्त रखकर तथ्योंको उनके असली रूपमें देख पाये ।

केपकी विभिन्न नगरपालिकाओंके शिष्ट-मण्डलसे उन्होंने कहा कि भारतीयोंको अलग बसानेके बारेमें आये हुए प्रस्तावोंके अनुसार नया विधेयक पेश करनेकी मुझे तो कोई जरूरत नहीं मालूम होती । उन्होंने एशियाइयोंकी बाढ़के भयको भी दूर कर दिया, क्योंकि उन्होंने बिलकुल स्पष्ट कर दिया कि प्रवासी अधिनियम ( इमिग्रेशन ऐक्ट) बहुत अच्छी तरहसे चल रहा है और उपनिवेशमें कोई भीड़ नहीं है ।

हमारे विधान-मंडलके सदस्योंको भी इस प्रश्नपर अच्छी तरहसे विचार कर लेना चाहिए । जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, नेटालमें नगर-परिषदोंको बहुत अधिक सत्ता दे दी गई है; और अगर किसी कानूनमें सुधारकी जरूरत है तो वह है परवाना अधिनियम । इन स्तम्भोंमें हम यह भी बता चुके हैं कि प्रवासी अधिनियमको ध्यानमें रखते हुए इस उपनिवेशमें बहुत अधिक संख्यामें एशियाइयोंके आनेका कोई भय नहीं है। ऐसी सूरतमें एशियाइयोंको अलग बसनेके लिए मजबूर करना हमें एकदम अनावश्यक मालूम होता है। अगर उपनिवेशी तथ्योंको देखनेका कष्ट करें तो वे पायेंगे कि एशियाइयोंके बसनेके कारण अनेक शहरोंमें समाजके स्वास्थ्यको जो खतरा बताया जाता है वह केवल उन लोगोंके दिमागोंमें ही है जो वस्तुस्थितिको नहीं देखना चाहते। जोहानिसबर्गमें अस्वच्छ क्षेत्र आयोग (इनसैनिटरी एरिया कमिशन)के सामने डॉ० जॉन्स्टनने जो बयान दिया था उसकी हमें इस सिलसिलेमें याद आ रही है । स्वास्थ्य-सफाईके विषयमें डॉ० जॉन्स्टन एक विशेषज्ञ हैं। दक्षिण आफ्रिकाकी आबवाके बारेमें भी उनका अनुभव बहुत व्यापक है। उन्होंने अपना मत व्यक्त करते हुए बड़े जोरके साथ कहा था कि जहाँतक सफाईसे सम्बन्ध है जोहानिसबर्गके भारतीयनिवासियोंके खिलाफ मैंने कुछ भी नहीं पाया। सफाईकी दृष्टिसे उन्हें अलग बसानेके सिद्धान्तका तो मैं समर्थन कर ही नहीं सकता ।

इसलिए हम आशा करते हैं कि अब समस्त दक्षिण आफ्रिकामें हमें बाजारोंकी बात सुनाई नहीं देगी। क्योंकि ट्रान्सवालके विषयमें भी शिष्ट-मण्डलको लॉर्ड मिलनरका आश्वासन मिल चुका है कि वर्तमान कानूनके स्थानपर ब्रिटिश विचारोंसे अधिक सुसंगत नया कानून बनाया जायेगा ।[१]

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९०३
  1. देखिए पृष्ठ ३२७-२८, ३३०।