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२८०. शाबाश

सहयोगी स्टारके विशेष संवाददाता द्वारा बॉक्सबर्गसे भेजे हुए एक समाचारसे जाहिर होता है कि बॉक्सबर्गके स्वास्थ्य निकाय (हेल्थ बोर्ड) के अनुचित रुखके खिलाफ ट्रान्सवालके सहायक उपनिवेश सचिव श्री मूअरने अपने रक्षितोंकी हिमायत कितनी उदात्तताके साथ की है । श्री मूअरके इस कार्यपर हम उन्हें बधाई देते हैं। श्री मूअरको बधाई देनेका विशेष कारण इसलिए है कि इधर एक अरसेसे हमारे देशभाइयोंको अधिकारियोंकी तरफसे संरक्षणकी बड़ी कमी हो गई है। अन्यथा, श्री मूअरने ऐसी कोई असाधारण बात नहीं की है। पुरानी गणराज्य सरकार भी इन परिस्थितियोंमें यही करती। हमें मालूम हुआ है कि बॉक्सबर्गकी भारतीय बस्ती शहरसे काफी दूर है । परन्तु बॉक्सबर्गके स्वास्थ्य निकायको यह अनुकूल नहीं पड़ता कि भारतीय अपने रहनेके बारेमें किसी तरहकी निश्चिन्तताका अनुभव करें या वर्षों एक जगह रहकर अपने प्रति सद्भावका कोई वातावरण बना लें । स्मरण रहे, भारतीय बस्तीकी वर्तमान जगहका चुनाव पुरानी हुकूमतने किसी उदार आशयसे नहीं किया था । परिस्थितियोंकी प्रबलतासे इस बस्तीके रहनेवाले भारतीयोंको कुछ व्यापार मिल गया। अब स्वास्थ्य निकाय उनको यहाँसे हटाकर, अपने ही कथनानुसार, शहरसे कोई डेढ़ मीलके फासलेपर वन ट्री हिल [ एक पेड़वाली टेकरी ] पर बसाना चाहता है। निश्चय ही वहाँ उनको व्यापारकी दृष्टिसे कोई अनुकूलता नहीं है। संभव है, स्वास्थ्यकी दृष्टिसे यह जगह बहुत अच्छी हो । परन्तु दुर्भाग्यसे इस बस्तीके निवासी अभी इतने खुशहाल नहीं हैं कि दिन भर परिश्रम करनेके बाद शामको सुखसे जा टिकने लायक आरोग्य भवन बना सकें । परन्तु स्वास्थ्य निकायके रुखपर किसीको तनिक भी आश्चर्य नहीं होना चाहिए। अगर दोष किसीको दिया जा सकता है। तो हुकूमतको, जिसने लोगोंको यह सोचनेका मौका दिया है कि अगर वे काफी शोर मचायें तो सरकार ब्रिटिश भारतीयोंकी आजादीपर हाथ डाल सकती है। क्या हम जानते नहीं हैं कि लॉर्ड मिलनरने बाजारवाली सूचनाका समर्थन इस बिनापर किया है कि पुराने कानूनके अमलकी माँग की जा रही है ? यह एक विचित्र विधि-विडम्बना है कि ब्लूमफॉटीनकी परिषदके[१] समय १८९९ में ब्रिटिश भारतीयोंके प्रति न्यायपूर्ण बरताव करनेपर सबसे अधिक जोर देनेवाले महानुभाव ये ही थे । और अब ये ही सज्जन लोगोंकी आवाजसे दबकर उसी कानूनके अमलपर उतारू हो गये हैं, जिसका विरोध पिछली हुकूमतके युगमें इन्होंने इतनी उदात्ततासे किया था । तब दुर्भावकी आगमें घी डालनेवाली हस्ती सरकार ही है। अब अगर यह आग सरकारके अन्दाजसे अधिक भड़क कर अकल्पित रोषका रूप धारण कर ले तो इसमें आश्चर्यकी बात ही क्या है ? हम तो यही आशा करते हैं कि सरकार बॉक्सबर्ग स्वास्थ्य निकायके प्रति बुद्धिमत्तापूर्ण रुख अपनानेके बाद अपना कदम पीछे नहीं हटायेगी ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९०३
  1. दक्षिण आफ्रिका स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर आल्फ्रेड मिलनर और ट्रान्सवालके राज्याध्यक्ष श्री पॉल क्रूगरके बीच हुई बातचीत ।