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१०. तार : भारतके वाइसरायको
जोहानिसबर्ग, बरास्ता अदन
 
अगस्त १९,१८९८
 

प्रेषक

ब्रिटिश भारतीय

जोहानिसबर्ग

सेवामें

परमश्रेष्ठ वाइसराय महोदय

शिमला

हम, जोहानिसबर्गमें व्यापार करनेवाले ब्रिटिश भारतीय, आदरपूर्वक महानुभावके सूचनार्थ निवेदन करना चाहते हैं कि यहाँ के उच्च न्यायालयने निर्णय किया है। कि तमाम भारतीयोंको पृथक् बस्तियोंमें ही रहना और व्यापार करना होगा।

[अंग्रेजीसे]

परराष्ट्र विभाग, विदेश मन्त्रालय, भारत सरकार : कार्रवाइयाँ, सितम्बर १८९८, नं० ५५-५६॥

११. प्रार्थनापत्र : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसको

ट्रान्सवाल उच्च न्यायालयके यह फैसला देने पर कि भारतीयोंको पृथफ बस्तियों में ही रहना और व्यापार फरना होगा, भारतीयोंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके नाम निम्नलिखित प्रार्थनापत्र भेजा था।

जोहानिसबर्ग
 
दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य
 
अगस्त २२, १८९८
 

सेवामें

अध्यक्ष तथा सदस्यगण

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

महोदयो,

दक्षिण-आफ्रिकी गणराज्यके जोहानिसबर्ग नगरमें रहनेवाले हम, निम्न हस्ताक्षरकर्ता ब्रिटिश प्रजाजन, आपकी कांग्रेसका ध्यान निम्न-लिखित तथ्योंकी ओर सादर आकृष्ट करना चाहते हैं:

१. परीक्षात्मक मुकदमे में अदालतने निर्णय किया था कि निवास और व्यापारके स्थानों में कोई भेद नहीं है, और एशियाइयोंको उन्हीं पृथक बस्तियोंमें रहना तथा व्यापार करना होगा, जो सरकारने उनके लिए निश्चित कर दी हैं (पृष्ठ १)।

२. इसी प्रकारका प्रार्थनापत्र उपनिवेश-मंत्री तथा भारत-मंत्रीको और एक नकल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी ब्रिटिश समितिको भी भेजी गई थी।

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