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प्रार्थनापत्र : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसको

१. हम ब्रिटिश प्रजाजन हैं, हमारा जन्म ब्रिटिश भारतमें हुआ है, और अब हम जोहानिसबर्गमें व्यापारियों और दुकानदारोंकी हैसियतसे व्यापार कर रहे हैं।

२. हममें से कुछ लोगोंको इस गणराज्यमें रहते बारह वर्ष और इससे भी अधिक समय बीत गया है। जोहानिसबर्गमें हमारी दूकानोंमें बहुतेरा कीमती सामान भरा है।

३. हमारा सादर निवेदन है कि ब्रिटिश प्रजाजनोंकी हैसियतसे हमें 'लंदन समझौता' के नामसे प्रसिद्ध समझौतेका पूरा लाभ पानेका अधिकार है। यह समझौता सम्राज्ञीकी सर- कार और दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यकी सरकारके बीच १८८४ में हुआ था। इसके चौदहवें अनुच्छेदमें विधान है कि सब ब्रिटिश प्रजाजनोंको दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यमें कहीं भी रहने और व्यापार करनेका अधिकार होगा।

४. हालमें इस गणराज्यके उच्च न्यायालयने निर्णय किया है कि सब भारतीयों और अन्य एशियाइयोंको उन खास बस्तियों में ही रहना और व्यापार करना पड़ेगा, जो कि गणराज्यकी सरकार उनके लिए नियत कर देगी; और कहीं नहीं।

५. उच्च न्यायालयका यह निर्णय इस गणराज्यकी लोकसभा (फोक्सराट) द्वारा पास किये हुए एक विधानके आधारपर है। यह विधान उपर्युक्त समझौतेके पश्चात्, अर्थात् १८८५ में पास किया गया था और १८८५ का कानून ३ कहलाता है। यह कानून उक्त समझौतेकी स्पष्ट शर्तोके प्रत्यक्ष विरुद्ध है।

६. यदि यह मान भी लिया जाये कि हम १८८५ के उक्त कानून ३ की शतोंके पाबन्द है, जो कि हम नहीं मानते, तो भी हमारा सादर निवेदन है कि इस गणराज्यके उच्च न्याया- लयका उक्त निर्णय कानूनन गलत और उक्त कानूनके सच्चे अर्थों और उद्देश्योंके स्पष्ट विपरीत है। क्योंकि, कानूनमें लिखा है कि इस गणराज्यकी सरकारको इस गणराज्यके एशियाइयोंके लिए बस्तियोंमें रहने का स्थान निश्चित कर देने का अधिकार होगा। इससे, गणराज्यमें कहीं भी व्यापार करने के एशियाइयोंके अधिकारपर कोई प्रतिबन्ध लागू नहीं होता।

७. उच्च न्यायालयका उक्त निर्णय अन्तिम है, उसके विरुद्ध अपील नहीं की जा सकती।

८. हमें यह विश्वास नहीं होता कि सम्राज्ञी-सरकारका ऐसा कोई इरादा था या है कि जो अधिकार उक्त लंदन-समझौते द्वारा सब ब्रिटिश प्रजाजनोंके लिए विशेष रूपसे प्राप्त कर लिए गये है उनसे हमको वंचित कर दिया जाये, और सन्धि द्वारा प्राप्त अधिकारोंके मामले में भारतीय ब्रिटिश प्रजाजनोंकी स्थिति यूरोपीय ब्रिटिश प्रजाजनोंकी अपेक्षा घटिया होती हो तो हो जाने दी जाये।

९. हमें सन्देह नहीं कि इस गणराज्यके उच्च न्यायालयके उक्त निर्णयपर तुरन्त ही अमल किया जायेगा और हमें जोहानिसबर्गमें और उसके अड़ोस-पड़ोसमें दूकानें और दफ्तर बन्द करके, इस गणराज्यकी सरकार द्वारा मनचाहे ढंगसे कायम की गई बस्तियोंमें जाकर रहने और रोजगार करनेको विवश होना पड़ेगा। ये बस्तियाँ जोहानिसबर्गसे लगभग तीन मील परे, काफिरोंकी बस्तीसे लगी हुई होंगी। इसका परिणाम यह होगा कि हमारा व्यापार नष्ट हो जायेगा, हम अपनी आजीविकाके साधनोंसे वंचित हो जायेंगे और हमें यह राज्य छोड़कर चले जानेको विवश होना पड़ेगा; क्योंकि इस गणराज्यमें केवल जोहानिसबर्ग ही व्यापारका बड़ा केन्द्र और ऐसा स्थान है, जहाँ कि इस गणराज्यके अधिकतर भारतीय रहते तथा कारबार करते हैं।

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