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श्री चेम्बरलेनका खरीता

आरम्भमें जिन दूकानदारोंके पास परवाने थे उनमें यदि बीचमें हाकिमके इनकारसे अंझा पड़ा तो वर्षान्तमें उनके परवाने नये करनेसे इनकार । यह बाजार नोटिसके खिलाफ ।वर्तमान परवाने अछूते रहेंगे यह आश्वासन बहुत जरूरी है । भारतीय व्यापारको हानि पहुँच रही है। दुविधा भयानक । स्वच्छता नैतिकताके आधार पर लॉर्ड मिलनरके अनिवार्य पृथक्करण-सम्बन्धी वक्तव्यका नम्र विरोध है । प्रतिनिधिसे नैतिकताकी दलील पहली बार सुनी। अस्वच्छताका आरोप दो द्वारा खण्डित | उनमें एक स्वच्छता-विशेषज्ञ ।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया ऑफ़िस : ज्यूडिशियल ऐंड पब्लिक रेकर्ड्स, ४०२ ।

२९७. श्री चेम्बरलेनका खरीता

ट्रान्सवालके लिए गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंके बारेमें लॉर्ड मिलनरके नाम भेजा गया श्री चेम्बरलेनका खरीता भारतीय समाजके लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। वह तीन शीर्षकों में बाँटा जा सकता है :

पहला --- श्री चेम्बरलेनको जबतक पूरी तरहसे इस बातका सन्तोष नहीं हो जाता कि ट्रान्सवालकी अधिकांश श्वेत जनता वहाँपर एशियाई मजदूरोंका लाया जाना जरूरी समझती है तबतक वे उनको वहाँ किसी भी रूपमें भेजनेका विचार भी करनेसे इनकार करते हैं ।

दूसरा --- इस बारेमें उन्हें सन्तोष दिला दिया जाये तो भी यह प्रश्न रहेगा ही कि जहाँतक भारतका सम्बन्ध है, सरकार गिरमिटिया मजदूरोंको गिरमिटकी अवधि पूरी हो जानेपर वापस स्वदेश लौट जानेकी शर्तके साथ यहाँ भेजना मंजूर भी करेगी या नहीं ।

तीसरा --- इस मामलेमें वे 'हाँ' या 'न' कुछ भी कहें, उससे पहले भारत-सरकार द्वारा पेश की गई ये शर्तें पूरी हो जानी चाहिए : कि, वर्तमान कानूनमें इस तरह सुधार कर दिया जाये कि उसमें पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) सम्बन्धी तीन पौंडी विशेष कर न रहे और बस्तियोंवाले नियम रद हो जायें; हाँ, अपवादके रूपमें ये नियम केवल उन लोगोंके लिए रहें, जिनके लिए सफाईकी दृष्टिसे इन्हें रखना आवश्यक प्रतीत हो । बस्तियोंसे बाहर भी व्यापार करनेकी आजादी हो; सट्टेके लिए नहीं, किन्तु साधारणतया जायदाद रखनेका हक हो और अच्छे वर्गके एशियाइयोंके विरुद्ध लगाये गये सब नियन्त्रण हटा दिये जायें।

जहाँतक पहली बातका सम्बन्ध है, हर समझदार आदमी स्वीकार करेगा कि अगर ट्रान्सवालका अधिकांश श्वेत वर्ग नहीं चाहता हो तो गिरमिटिया भारतीय मजदूरोंको उनपर नहीं लादा जा सकता। हम यह भी आशा करते हैं कि एशियासे गिरमिटिया मजदूरोंको लानेका अधिकांश श्वेत वर्ग विरोध ही करेगा, चाहे चीनसे हो या भारतसे । यद्यपि हमारे कारण वही नहीं हैं जो श्वेतोंके हैं, परन्तु इस मुद्देपर वे और हम पूरी तरह एकमत हैं ।