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३०१. जल्दबाजी

बाजार-सूचनाओंको लागू करनेके बारेमें पाँचेफ़स्ट्रमने कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है। इस बारेमें मजिस्ट्रेटकी कार्यवाहीका एक छोटा-सा विवरण हम अन्यत्र दे रहे हैं। पाठक देखेंगे कि बस्तियोंसे बाहर रहनेके जुर्ममें लगभग एक दर्जन ब्रिटिश भारतीयोंपर मुकदमे दायर कर दिये गये हैं। इसे "जल्दबाजी" नहीं तो और क्या कहा जाये ? ऐसा अनुमान किया जाता है कि श्री चेम्बरलेन लॉर्ड मिलनरके इसी विषयसे सम्बन्धित खरीतेपर विचार कर रहे हैं। यह भी माना जाता है कि ट्रान्सवालकी सरकार वर्तमान कानूनके स्थानपर नया कानून बनानेका विचार कर रही है। क्या इन सबका निर्णय प्रकट होनेसे पहले ही बाजार- सूचनाओंपर पूरी तरहसे अमल करनेका इरादा कर लिया गया है -- फिर इसका असर सम्बन्धित लोगोंपर जो भी हो ? भूतपूर्व ऑरेंज फ्री स्टेटने जब एशियाइयोंके खिलाफ कड़ा कानून पास किया था तब उसने राज्यमें पहलेसे बसे हुए लोगोंको एक वर्षका समय देनेकी सभ्यता दिखाई थी । याद रखनेकी बात है कि पॉचेफ़स्ट्रममें जिन लोगोंपर मुकदमे दायर कर दिये गये हैं उनमें से अधिकांश ट्रान्सवालके पुराने बाशिन्दे हैं। इससे पहले उन्हें उनके धंधोंके सम्बन्धमें कभी तंग नहीं किया गया था। बाजार सूचना गत अप्रैलमें प्रकाशित हुई थी । लोग अभी समझ भी नहीं पाये हैं कि उनकी स्थिति क्या है ? और जब कि उसके खिलाफ शिकायतोंपर अभी विचार ही हो रहा है, उसके प्रकाशित होनेके तीन महीनेके अन्दर ही, बिना लिखित सूचनाके, उनपर एकाएक सम्मन जारी होने लगे हैं। तथापि, मजिस्ट्रेटने कृपापूर्वक मुकदमेको अगस्तकी चौथी तारीख तकके लिए स्थगित कर दिया, जिससे कि अभियुक्त अपना सबूत पेश कर सकें। चूँकि अभी मामला विचाराधीन है और हमें ज्ञात हुआ है कि सरकारसे राहतके लिए प्रार्थना की गई है, हम इसपर अभी और कुछ नहीं कहेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९०३

३०२. अजीबोगरीब सरगरमी

ब्रिटिश भारतीयोंके अधिकारोंपर पेशगी नियन्त्रण लगानेमें ऑरेंज रिवर उपनिवेशकी विधान-सभा जो सरगरमी दिखा रही है वह बिलकुल अजीबोगरीब है । नीचे हम उपनिवेशके २४ जुलाईके सरकारी गजटमें प्रकाशित ब्लूम-फॉटीनके निगम और शासनका नियमन करनेवाले अध्यादेशकी कुछ धाराएँ उद्धृत करते हैं जिनमें नगर परिषदको बस्तियोंके विषयमें अधिकार दिये गये हैं:

११८. परिषदको सत्ता दी जाती है कि वह नगरपालिकाकी जमीनके भाग या भागोंमें जहाँ उचित समझे बस्तियाँ कायम करे और उनमें घरेलू नौकरोंको छोड़कर जो अपने मालिकोंके अहातोंमें रहते हैं, अन्य तमाम रंगदार मनुष्योंको रहनेके लिए मजबूर करे। परिषद जब चाहे इन बस्तियोंको समाप्त कर सकती है और नई