पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३. तार : मंचरजी भावनगरीको
जोहानिसबर्ग
 
अगस्त ३०,१८९८
 

सर मंचरजी भावनगरी

लंदन

अदालतने फैसला कर दिया कि सरकारको भारतीयोंको व्यापार तथा निवासके लिए पृथक् बस्तियोंमें हटानेका अधिकार न्यायाधीश जोरिसेन असहमत। भारी आतंक। हटाये जानेके भयसे व्यापार ठप्प हो रहा है। बड़े-बड़े हित खतरेमें। चेम्बरलेनके आश्वासनपर भरोसा कि परीक्षात्मक मुकदमेके बाद ट्रान्सवाल-सरकारसे लिखा-पढ़ी करेंगे। उन्होंने कहा था, निश्चित मुद्दा प्राप्त करने के लिए मुकदमा आवश्यक । कृपया सहायता करें।

ब्रिटिश भारतीय
 

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल' ऑफ़िस रेकर्ड्स : मेमोरियल्स ऐण्ड पिटिशन्स, १८९८ ।


१४. तार : 'इंडिया' को
जोहानिसबर्ग
 
[अगस्त ३०, १८९८]
 

अदालतने फैसला दे दिया है कि सरकारको अधिकार है कि वह ट्रान्सवालके भारतीयोंको व्यापार तथा निवास दोनोंके लिए पृथक् बस्तियोंमें न्यायाधीश जोरिसेनने इस फैसलेसे मतभेद प्रकट किया । यहाँ भारी आतंक फैला हुआ है। डर है बस्तियों में हटाये जानेसे व्यापार ठप्प हो जायेगा। बड़े-बड़े हित खतरेमें पड़ गये हैं। हमें श्री चेम्बरलेनके वादेका ही आसरा परीक्षात्मक मुकदमेके बाद वे ट्रान्सवाल-सरकारके साथ लिखा-पढ़ी करेंगे। उन्होंने कहा था कि लिखा- पढ़ीके लिए निश्चित मुद्दा प्राप्त करनेके हेतु परीक्षात्मक मुकदमा जरूरी है।

[अंग्रेजीसे]

इंडिया, ९-९-१८९८


१. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी लंदन-स्थित ब्रिटिश समितिके सदस्य; देखिए खण्ड २, पृष्ठ ४२० ।

२. इंडियाने यह तार जोहानिसबर्ग-स्थित संवाददाता से प्राप्त' रूपमें प्रकाशित किया था। उस समय गांधीजी ही इंडियाके डर्बन, जोहानिसबर्ग तथा दक्षिण आफ्रिका-स्थित संवाददाताका फाम कर रहे थे।

३. इस तारका पाठ लगभग वही है, जो पिछले तारका है । स्पष्ट है कि यह भेजा भी उसी तारीखको गया होगा और इंडिया कि एक साप्ताहिक पत्र था, इसलिए यह उसके आगेके अंकमें प्रकाशित हुआ।

३-२

Gandhi He's Mayasan