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३१२. दक्षिण आफ्रिकाके स्थायी वकील

सचमुच ही श्री चेम्बरलेन दक्षिण आफ्रिकाके गोरे उपनिवेशियोंके वकील हैं। उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाका सवाल, चाहे भला हो चाहे बुरा, अपना बना लिया है। उनका विश्वास है, और बहुत हृदतक उनका यह सोचना सही भी है, कि उपनिवेशोंके हितोंकी रक्षा करना उनका कर्तव्य है। वे दूसरोंके हितोंको छोड़ देते हैं, भले ही वे महत्त्वपूर्ण और न्याय्य हों। यदि दूसरे मन्त्री अपने मुअक्किलोंके साथ न्याय नहीं करते हैं और इस कारण उनकी हानि होती है तो इसमें उपनिवेश-मन्त्रीका कोई दोष नहीं है । ट्रान्सवालमें भारतीयोंके विरोधमें बने कानूनके प्रश्नकी निष्पक्ष जाँच करनेके बारेमें पूर्व भारत संघने जो अत्यन्त उचित और समझदारी-भरा प्रस्ताव किया था उसे श्री चेम्बरलेनने इसी दृष्टिसे देखा है । अपने मुअक्किलोंको जिससे हानि पहुँचनेकी सम्भावना हो, भला उसे एक वकील कैसे स्वीकार कर सकता है ? इसलिए वे ब्रिटिश भारतीयोंके वकील लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनके साथ पत्रव्यवहार करेंगे। इस कार्यवाहीसे उपनिवेशियोंकी स्थिति निर्बन्ध रहती है। ब्रिटिश भारतीयोंपर उन्होंने जो आरोप लगाये हैं उनका निराकरण नहीं हो पाता; और जाँच मंजूर होकर उनका निराकरण हो जानेपर भारतीयोंको जो कुछ मिल सकता था, आरोपके रहते हुए उन्हें निश्चय ही उससे बहुत कम मिल सकेगा ।

सर विलियम वेडरबर्न और पूर्व भारत संघने जो उदार यत्न किया था उसका कोई नतीजा नहीं निकला। फिर भी हम धीरज और आशा नहीं छोड़ेंगे। श्री चेम्बरलेनके दिलमें सहानुभूति निःसन्देह है। लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टनने वचन दिया है कि न्याय प्राप्त करनेके लिए वे शक्ति- भर प्रयत्न करेंगे । और हमें इसमें जरा भी सन्देह नहीं है कि जिन उपनिवेशियोंके लिए श्री चेम्बरलेन इतना प्रयत्न कर रहे हैं, उनको यदि वे ब्रिटिश भारतीयोंके साथ न्याययुक्त और सम्मानयुक्त व्यवहार करनेकी सलाह देंगे तो वे उसे मानने से इनकार नहीं करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २०-८-१९०३

३१३. दुर्घटना ?

पैरिस की भीषण दुर्घटना[१]की खबर संसारमें जहाँ कहीं भी पहुँची होगी वहाँ दुःख छा गया होगा । इस संकटके जो शिकार हुए और जो इससे बच गये उन दोनोंकी भावनाओंकी हम भली भाँति कल्पना कर सकते हैं। हमारी दृष्टिमें तो ऐसी अकल्पित घटनाएँ केवल आकस्मिक नहीं होतीं। हम इन्हें ईश्वरका कोप मानते हैं, जिससे अगर हम चाहें तो मूल्यवान शिक्षा ले सकते हैं। हमें तो लगता है कि इस सारी आधुनिक सभ्यताके ऊपरी चकाचौंध-भरे वैभवके पीछे यही भयंकर दुष्परिणाम छिपे पड़े हैं। पेरिस नगरको जैसी घटनाने आज इस शोक-सागरमें डाल दिया है, वैसी घटनाओंके संपूर्ण परिणाम क्या होंगे, यह सोचनेका समय ही हमें आजकी इस

  1. भीषण अग्निकाण्ड जो १० अगस्तको बिजलीकी भूमिगत रेलगाड़ीमें हुआ था। इसमें ८४ व्यक्तियोंकी जानें गई थीं और बहुतसे लोग घायल हुए थे ।