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प्रार्थनापत्र : श्री चेम्बरलेनको

उतनी तीव्र नहीं है, क्योंकि यहाँके विक्रेताकी अवस्था प्रिटोरियाके विक्रेता जैसी नहीं है । आशा है कि श्री चेम्बरलेन मालिकाना अधिकार बदलवानेके लिए सरकारको राजी करनेकी कृपा करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडिया, १८-९-१९०३

३१७. प्रार्थना-पत्र : श्री चेम्बरलेनको

डर्बन
अगस्त २४, १९०३

सेवामें

परममाननीय जोज़ेफ़ चेम्बरलेन
महामहिम सम्राट्के मुख्य उपनिवेश-मन्त्री

लंदन

नेटाल उपनिवेशवासी ब्रिटिश भारतीयोंके नीचे हस्ताक्षर
करनेवाले प्रतिनिधियोंका प्रार्थनापत्र ।

नम्र निवेदन है कि,

आपके प्रार्थी नेटाल उपनिवेशकी विधानसभाके इसी सत्रमें स्वीकृत प्रवासी-प्रतिबंधक विधेयकके बारेमें महामहिमकी सरकारकी सेवामें विनयपूर्वक उपस्थित होनेका साहस कर रहे हैं।

प्रार्थियोंने विधेयकके सिद्धान्तको स्वीकार करते हुए उसके कुछ उपनियमोंका विरोध करनेकी स्वतंत्रता ली और दोनों सदनोंकी सेवामें प्रार्थनापत्र[१] पेश किये। किन्तु प्रार्थियोंके दुर्भाग्यसे दोनों सदनोंमें उनकी उठाई हुई आपत्तियोंमेंसे एकपर भी विचार नहीं किया गया ।

अतः लाचार होकर प्रार्थी आपकी सेवामें उपस्थित हो रहे हैं । पूर्ण विश्वास है कि आप अपने प्रार्थियोंको उल्लिखित प्रार्थनापत्रोंमें वर्णित सुविधाएँ प्राप्त करानेकी कृपा करेंगे ।

चूँकि प्राथियोंकी ओरसे जो कुछ भी कहना है वह माननीया विधानसभाको दिये गये प्रार्थनापत्रमें कहा जा चुका है, इसलिए प्रार्थी उसीकी एक प्रति यहाँ नत्थी करनेकी धृष्टता करते हैं और आपकी कृपादृष्टिकी प्रार्थना करते हैं ।

प्रार्थी आपको कोई अन्य तर्क पेश करके कष्ट नहीं देंगे; केवल इतना और कहेंगे कि उनकी विनम्र सम्मतिमें प्रार्थनापत्रका निवेदन अत्यन्त उचित है; और इसे देखते हुए कि वर्तमान विधेयक एक प्रयोग है, प्रार्थियों द्वारा दिये गये सुझावोंका फिलहाल कोई परिवर्तनीय रूप स्वीकार करनेसे यूरोपीय उपनिवेशियोंकी कोई हानि नहीं होगी।

अतः प्रार्थी नम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि आप उदारतापूर्वक सम्राट्से सिफारिश करनेकी कृपा करें कि सम्राट् अपनी मुहर उसपर न लगायें और दूसरी उचित सुविधा दें। और न्याय तथा दयाके इस कार्यके लिए प्रार्थी, कर्तव्य समझ कर, सदा दुआ करेंगे।

नेटालके गवर्नरकी ओरसे प्रधान उपनिवेश मन्त्रीको भेजे गये खरीता ३७०, दिसम्बर १८, १९०३ का सहपत्र ।

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : सी० ओ० १७९, जिल्द २२७, खरीता ३७० ।

३-२९
 
  1. देखिए "प्रवासी-विधेयक," जून २३, १९०३ और “प्रार्थनापत्र : नेटाल विधान-परिषदको,” जुलाई ११, १९०३ ।