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असत् साँठगाँठ

चीनमें ईसाई पादरियोंके कामके बारेमें अपने प्रतिष्ठित श्रोताओंके सामने एक सच्चे ईसाईकी भाँति उन्होंने ईसाई धर्मप्रचारकोंको याद दिलाई कि उन्होंने ईसाके उपदेशोंको भुला दिया है । ईसाने कहा है कि उन्हें धर्मके लिए सारी मुसीबतें चुपचाप सह लेनी चाहिए। अगर जरूरत पड़े तो मृत्युका भी स्वागत करना चाहिए। परन्तु इस बातको भुलाकर अपने काममें सहूलियत हो इसलिए उन्होंने लौकिक सत्ताकी सहायता मांगी है। उन्हें चाहिए कि धर्म प्रचारके अपने उत्साहके साथ वे बुद्धिसे भी काम लें और जिस देशके प्रतिनिधि बनकर वे यहाँ आये हैं उसकी प्रतिष्ठामें कमी न आने दें, और उसकी स्थिति खराब न होने दें।

अपने पाठकोंकी जानकारीके लिए हम अन्यत्र उपर्युक्त सभामें दिये गये भाषणका एक अंश देते हैं। उससे उनके विचारोंकी उच्चता, हृदयकी विशालता और गहराईका तथा हेतुकी शुद्धताका पता लग सकता है।

ऐसा था वह महान् और सद्गुणी देशभक्त, जिसे ब्रिटिश साम्राज्यने खोया है, और जिसकी मृत्युपर वह शोक मना रहा है।

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अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३-९-१९०३

३२४. असत् साँठगाँठ

अन्यत्र हम श्री चेम्बरलेनका वह भाषण छाप रहे हैं, जो उन्होंने ब्रिटेनकी लोकसभामें भारतीय मजदूरोंके प्रश्नपर दिया था। नीचे दिया अत्यन्त अशुभ भाग उसीका एक अंश है :

यह विकास अधिकसे-अधिक तेज गतिसे हो इस हेतुसे लॉर्ड मिलनरने मुझसे दरखास्त की है और कहा है: 'हम सोच रहे हैं कि रेलवेमें हम कुलियोंसे काम लें । क्या आप हमारी यह इच्छा भारत-सरकारतक पहुँचा कर इसके लिए उसकी मंजूरी प्राप्त करनेमें अपना प्रभाव डालनेकी कृपा करेंगे ?' इस बारेमें नेटालके प्रस्तावपर भारत सरकार पहले ही अपनी मंजूरी दे चुकी है। प्रस्ताव यह था कि भारतसे मजदूर एक निश्चित अवधिके लिए नेटाल आयें और वे इस प्रकार भारत लौटा दिये जायें कि इकरारकी अवधि भारतमें समाप्त हो । उनके वेतनका शेष अंश उन्हें भारत पहुँचनेपर वहाँ चुका दिया जाये। इसका मतलब यह है कि वे दक्षिण आफ्रिकाके स्थायी निवासी नहीं बनेंगे; बल्कि अपनी बचतकी रकम जेबमें रखकर स्वदेश लौट जायेंगे । भारत सरकारने दक्षिण आफ्रिकाको एशियाइयोंकी स्थायी बस्तीसे बचाते हुए वहाँकी चीनीकी जायदादों और अन्य कामोंके लिए पर्याप्त मजदूर उपलब्ध कर देनेका यह सबसे उत्तम तरीका समझा। इस इकरारनामेको दोनों पक्षोंने पसन्द करके इसे अपनी मंजूरी भी दे दी है।

हम तो यही आशा कर सकते हैं कि या तो श्री चेम्बरलेनके भाषणकी यह खबर ठीक नहीं है या जब उन्होंने उपर्युक्त भाषण दिया तब उन्हें खुद कोई भारी गलतफहमी हो रही होगी । हम सब जानते हैं कि नेटाल सरकारकी तरफसे एक शिष्ट-मण्डल भारत गया था और वह लौट