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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५२९

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ट्रान्सवालका पृथक् बस्ती-फानून ४८७ जैसे कि वे सामान्यतः रहते हैं, एक खास वकील और सनसनी पैदा करनेवालेका रूप धारण कर लिया है। हमारी रायमें, उन्होंने हत्याके एक साधारण मुकदमेको, जो उनके पास जाँचके लिए भेजा गया था, अनावश्यक राजनीतिक रूप दे दिया है। ध्यान रखिए, श्री स्टुअर्टने इस बातपर जोर दिया है कि अभियुक्तके मामलेकी पैरवी एक भारतीय वकीलने की और भारतीय समुदायने जानकारी देनेमें सहयोग नहीं दिया -- • मानो भारतीय समुदाय ही सूचना दे सकता था और वह अपराधीको जानता था । श्री स्टुअर्टके अनुसार, अबसे यदि किसी भारतीयकी हत्या हो और हत्यारेका पता न चले तो इसके लिए उपनिवेशके ७०,००० भारतीय दोषी हैं--हत्यारेका पता लगाना उनके कार्य-क्षेत्रके अन्तर्गत है, न कि पुलिसके । क्या हम श्री स्टुअर्टकी भूल सुधार सकते हैं और उन्हें बता सकते हैं कि 'श्री' भावनगरी 'नाइट' हैं और, इसलिए, 'सर मंचरजी हैं ? सुयोग्य 'नाइट' को सूचना किसी स्थानीय समाचार-पत्रसे मिली होगी । ऐसी स्थिति में हमारे सर्वप्रिय का० स० म० के लिए सहज होगा कि वे संवाददाताका पता लगायें और उसकी गवाही लें। [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९०३ ३४५. ट्रान्सवालका पृथक् बस्ती - कानून ट्रान्सवालके सरकारी गजटके वर्तमान अंकमें उन तमाम भारतीय बस्तियोंकी सूची है, जिनका सर्वेक्षण और निर्धारण सरकारने कर लिया है। इस उपनिवेशमें हमारे देशभाइयोंका भविष्य बड़ा अन्धकारमय बन गया है । भूतपूर्व उपनिवेश सचिवने अनेक बार कहा है कि वे सारे प्रश्नपर विचार कर रहे हैं। लॉर्ड मिलनर कहते हैं कि बाजार सूचना केवल अस्थायी है । इसलिए ट्रान्सवालकी सरकार या तो लॉर्ड मिलनरकी उपेक्षा करना चाहती है या एक ऐसी योजनापर नाहक सार्वजनिक धनका अपव्यय कर रही है, जिसका अभी अन्तिम निर्णय होना बाकी है। लॉर्ड मिलनरने बड़ी चतुरतापूर्वक कहा है कि वर्तमान सरकार तीन बातोंके बारेमें सहायता दे रही है, जो पहले कभी नहीं दी गई थी। इनमें से एक बात है बाजारोंका निर्धारण करना। साफ शब्दों में इसका अर्थ यह है कि, बोअर-सरकारने भारतीयोंको बाजारों में नहीं भेजा था, किन्तु अब लॉर्ड मिलनर भेजना चाहते हैं। इस दिशामें सरकारने अपना कदम बढ़ा भी दिया है और बस्तियोंकी रूपरेखा निर्धारित कर दी है। फिर भी लॉर्ड मिलनर भारतीयोंपर यह शिकायत करने के कारण बिगड़ते हैं कि पिछली सरकारकी अपेक्षा अब भारतीयोंके साथ अधिक बुरा व्यवहार होता है। अरे, बातोंमें और व्यवहारमें कुछ तो मेल हो ! [ अंग्रेजीसे ] इंडियन ओपिनियन, २४-९-१९०३ १. कार्यवाहक सहायक मजिस्ट्रेट । Gandhi Heritage Portal