३५१. राजनीतिक नैतिकता नेटालके कुछ मामलोंके बारे में श्री चेम्बरलेनकी पूछताछपर श्री स्टुअर्टकी रिपोर्टकी चर्चा हम पिछले हफ्ते कर चुके हैं। आज हम ट्रान्सवालके दो परवानोंके मामलोंकी चर्चा करना चाहते हैं, जिनके बारेमें लॉर्ड मिलनरने अपनी रिपोर्ट श्री चेम्बरलेनको भेजी है। हमें इस बातका पूरा खयाल है कि इस मामलेमें अगर वस्तुस्थितिसे लॉर्ड मिलनरकी रिपोर्ट मेल नहीं खा रही है तो इसके लिए लॉर्ड मिलनर शायद ही उत्तरदायी माने जा सकते हैं; क्योंकि उनके सामने जो व्यौरे सम्बन्धित लोगों द्वारा रखे गये थे, वे उन्हींपर तो निर्भर रह सकते थे । हम नीचे सरकारी कथन और वस्तुस्थिति, जैसी हमें मालूम है, पेश कर रहे हैं : सरकारी कथन (१) चर्चाका विषयभूत भारतीय (हुसेन अमद) सन् १८९९ में वाकरस्ट्रममें एक मकानमें रहता और व्यापार करता था। मकानका पट्टा उसके नामपर नहीं था । पट्टेकी मियाद १५ जुलाई सन् १८९९ को समाप्त हो गई थी । वस्तुस्थिति (१) रिपोर्ट में यह लिखना रह गया है कि पट्टा उसके साझीके नामपर था और यद्यपि उसकी मियाद १५ जुलाई १८९९ को समाप्त हो गई थी फिर भी वह नया कर लिया गया था। इन बातोंकी जानकारी मजिस्ट्रेटको भी थी । सरकारी कथन (२) प्रथम नेटाल-संसदके प्रस्ताव, ५ अगस्त १८९२ की धारा १०७२ द्वारा उसको उक्त तारीखके बाद कुली-बस्तीके बाहर अन्य कहीं व्यापार करनेसे मना कर दिया गया था, और १५ जुलाई सन् १८९९ को जिलेके मजिस्ट्रेटने वस्तु-भण्डारको बन्द कर दिया । -- वस्तुस्थिति - (२) रिपोर्टमें इस बातका उल्लेख नहीं है कि इस प्रस्तावका अमल कभी- एक भी मामलेमें - नहीं हुआ। परवानेदार इस बातसे इनकार करता है कि मजिस्ट्रेटने कभी वस्तु भण्डारको बन्द किया था। उसने अपने कथनको पुष्टिमें वाकरस्ट्रमके दो जिम्मेदार यूरोपीय निवासियोंको गवाहीमें पेश किया है। इनमें से एक तो किसी बैंकका व्यवस्थापक है और दूसरा पिछली सरकारका अधिकारी रहा है। दोनोंने बयान दिये हैं कि भण्डार कमसे कम अगस्तके अन्ततक तो खुला रहा था और हुसेन अमदने, जब लड़ाई शुरू होनेको थी और लोग ट्रान्सवालसे बाहर जाने लगे थे, खुद अपने भण्डारको बन्द किया था । सरकारी कथन (३) सन् १९०२ के जूनमें हुसेन अमदने वाकरस्ट्रमके रेजिडेंट मजिस्ट्रेटको दर- ख्वास्त दी थी कि उसके पट्टेकी मियाद खत्म नहीं हुई है। इसपर मजिस्ट्रेटने बगैर Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५३६
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