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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/५५०

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५०८ फरवरी २६ : राजकोट पहुँचे । सम्पूर्ण गांधी वाङमय वकालत जमाने के प्रयत्न : जामनगर, वेरावल और काठियावाड़की दूसरी जगहोंके मुकदमोंकी पैरवी । मार्च २६ : दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंकी तात्कालिक परिस्थितिपर विलियम स्प्रॉस्टन केनको टिप्पणियाँ लिखकर भेजीं और आग्रह किया कि ब्रिटिश मित्र भारतीयोंकी शिकायतें दूर करनेका प्रयत्न करें। मार्च ३० : इंडियाको 'टिप्पणियाँ' भेजीं । दक्षिण आफ्रिकाके सम्बन्धमें कलकत्ता कांग्रेस में स्वीकृत अपने प्रस्तावकी प्रति श्री भावनगरीको भेजी । मार्च ३१ : खान और नाज़रको लिखा कि यदि मेरी उपस्थिति दक्षिण आफ्रिकामें जरूरी हो तो भारतमें जमनेके पहले ही मुझे वहाँ वापस बुला लेना चाहिए । अप्रैल ८ : गोखलेको शाही विधान परिषद में बजट सम्बन्धी भाषणपर बधाईका पत्र । अप्रैल २२ : गिरमिटिया भारतीयोंके बच्चोंपर व्यक्ति-कर लगाकर अप्रत्यक्ष रूपमें उन्हें भारत लौटनेके लिए बाध्य करनेवाले नेटालके विधेयकके बारेमें टाइम्स ऑफ इंडियाको विशेष लेख दिया । मई ? : राजकोटमें प्लेग की आशंकाके समय राज्य स्वयंसेवक प्लेग-समितिके मन्त्रीका काम सँभाला । मई २० : फिर टाइम्स ऑफ इंडिया में नेटाल-विधेयककी संलिपि देते हुए लिखा कि वह इस अन्यायके विरुद्ध अपनी आवाज उठाये । विधेयक उन्हीं दिनों पास हुआ था और शाही स्वीकृतिके लिए गया था । मई ३१ : नये व्यक्ति कर कानूनसे पैदा हुई कठिनाइयोंपर वॉयस ऑफ इंडिया में सविस्तर विशेष लेख लिखा और उसमें आशा प्रकट की कि लॉर्ड कर्ज़न इसमें हस्तक्षेप करेंगे और श्री चेम्बरलेन उपनिवेशोंपर अपने प्रभावका उपयोग न्यायके पक्षमें करेंगे । जून ३ : अपनी आर्थिक स्थिति खराब होनेके कारण डर्बनके मित्रोंसे दक्षिण आफ्रिकाका काम चलाने के लिए रकम भेजनेका आग्रह किया । जून ५ : भारत-मन्त्रीको बम्बई प्रेसिडेन्सी असोसिएशनने गांधीजीका तैयार किया हुआ प्रार्थना- पत्र भेजा। उसमें भारतीय प्रवासी-कानूनको व्यक्ति-करकी उपधारा शामिल करके संशोषित करनेवाले नेटाल-कानूनका विरोध और सरकारी नियंत्रणके अधीन उपनिवेशमें प्रवासियोंका आना अस्थायी रूपसे रोक देनेकी माँग की गई थी। जुलाई १० : बम्बई में वकालत करनेके विचारसे राजकोट छोड़ा । जुलाई ११ : बम्बई पहुँचे । अगस्त १ : गोखलेको सूचित किया कि बम्बई में दफ्तरके लिए जगह मिल गई है; वे योग्य सेवाके लिए सदा तत्पर हैं । अगस्त ६ : वकालत के पेशेमें अड़चनोंकी चर्चा करते हुए देवचन्द पारेखको पत्र । नवम्बर ३ : शुक्लको पत्र: उन्हें सूचित किया कि नेटालसे वहाँ वापस आनेका निमन्त्रण तार द्वारा आया है मगर अपनी शारीरिक अशक्ति और बच्चोंके अस्वास्थ्यके कारण जानेमें असमर्थता प्रकट की है। नवम्बर १४ : गोखलेको २० नवम्बरको दक्षिण आफ्रिका रवाना होनेके विचारकी सूचना । Gandhi Heritage Portal