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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

एक और सज्जन हैं श्री ओ'ही। वे औपनिवेशिक देशभक्त संघ (कलोनियल पैट्रिऑटिक यूनियन) के अवैतनिक मन्त्री भी है। उनका स्पष्टतः स्वीकृत लक्ष्य एशियाइयोंकी और अधिक भरमारको रोकना है। वे कहते हैं :

मैं नहीं समझता कि इस कानूनका अमल विधानमण्डलको भावनाके अनुसार किया जा रहा है। उस समयके प्रधानमंत्रीने, जिन्होंने विधेयक पेश किया था, कहा 'इसका मुख्य उद्देश्य उन लोगोंपर असर करनेका है, जिनका निपटारा प्रवासी विधेयकके अन्तर्गत किया जाता है। जहाजवालोंको अगर मालूम हो कि इन्हें उतारने नहीं दिया जायेगा तो वे इन्हें नहीं लायेंगे। और अगर लोगोंको मालूम हो कि उन्हें परवाने नहीं मिल सकेंगे तो वे व्यापार करने के लिए यहां आयेंगे ही नहीं।'

बहुत दिन नहीं हुए कि मेरे पास इसी तरहका एक मामला उपस्थित हुआ था। एक चीनी राष्ट्रिक उपनिवेशमें तेरह वर्षोंसे रह रहा था। उसे परवाना देनेसे इनकार कर दिया गया। मुझे निश्चय है कि इसका कारण और कुछ नहीं, सिर्फ यह था कि वह चीनी राष्ट्रिक था। डर्बन-सम्बन्धी आँकड़ोंसे मालूम होता है कि गत दस वर्षोंके अन्दर इस शहरका फैलाव और आबादी दूनीसे ज्यादा हो गई है। और फिर भी इस आदमीको जिसने अपना भाग्य उपनिवेशके साथ जोड़ दिया था-एक ऐसे आदमीको, जिसका चरित्र निष्कलंक था, जो उस समय इस उपनिवेशमें आया था जबकि यहाँ आजके १०० मनुष्योंकी जगह केवल ४० मनुष्य निवास करते थे- डर्बनमें ईमानदारीके साथ जीविका उपाजित करनेका साधन देनेसे इनकार कर दिया गया; उसके चरित्रका और इस बातका कोई खयाल नहीं किया गया कि वह लम्बे अरसेसे उपनिवेशमें रह रहा है। इसी तरह, मैंने देखा है कि न्यूकसिलमें एक भारतीयको परवाना देनेसे इनकार कर दिया गया। वह १५ वर्षोंसे नेटालमें रह रहा था। अगर किसी यूरोपीयने उसी परवानेको अर्जी दी होती तो उसे वह दे दिया जाता। यह उचित नहीं है।

श्री रेनॉड ऐंड रॉबिन्सनकी पेढ़ीवाले दूसरी बातोंके साथ-साथ कहते हैं :

परन्तु, हमारी रायमें, प्रस्तुत अधिनियमका मुख्य दोष यह है कि उसमें नगर- परिषदके निर्णयको अपील करनेकी गुंजाइश नहीं रखी गई। इससे परवानोंके अर्जदारों- पर अन्याय हुआ है, और आगे भी हो सकता है।

जब यह छप रहा था, श्री जी० ए० डी'आर० लैबिस्टरकी राय प्राप्त हुई। वह इसके साथ संलग्न है (परिशिष्ट छ')।

"कन्सिस्टेन्सी" ['सुसंगत'] ने टाइम्स आफ नेटाल में (जिसे सरकारका मुखपत्र माना जाता है) एक पत्र लिखा है। उनके पत्र (परिशिष्ट ज) से मालूम होगा कि वे, २० वर्ष से अधिक हुए, उपनिवेशमें रह रहे हैं और एक व्यापारी हैं। उन्होंने कहा है :

बेशक आप उनसे (भारतीय व्यापारियोंसे) सफाईके कड़ेसे कड़े नियमोंका पालन कराइए, उनका हिसाब-किताब अंग्रेजीमें रखवाइए और अन्य काम भी वैसे ही करवा- इए, जैसे कि अंग्रेज व्यापारी करते हैं। परन्तु जब वे इन सब मांगोंको पूरा कर दें तब


१.देखिए, पृष्ठ ४९ ।