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सम्पूर्ण गांधी वाङमय

इसलिए प्रार्थी आदरपूर्वक आशा करते है कि उनकी प्रार्थनापर सम्राज्ञी-सरकार शीघ्र ध्यान देगी।

और न्याय तथा दयाके इस कार्यके लिए प्रार्थी, अपना कर्तव्य समझकर, सदा दुआ- करेंगे, आदि-आदि-आदि ।

मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन ऐंड कम्पनी
 
और अन्य
 
परिशिष्ट

[ यह सोमनाथ महाराजके मुकदमेकी कार्रवाई की रिपोर्ट है, जो ३-३-१८९८ के नेटाल मार्क्यूरी में प्रकाशित हुई थी। यह अपने तिथिक्रमके अनुसार पृष्ठ २ पर दे दी गई है।)

परिशिष्ट
(नकल)
न्यूकै सिल
 
जनवरी ११,१८९८
 

श्री टाउन क्लार्फ

न्यूफैसिल

प्रिय महोदय,

मुझे निर्देश किया गया है कि मैं सुलेमान इब्राहीम, सज्जाद मियाजान और अब्दुल रसूलकी ओरसे खुदरा दूकानोंके परवानोंकी इसके साथ नल्ली की हुई अर्जिया आपके पास भेजूं ।

आपने पिछले महीने ये परवाने देनेसे इनकार कर दिया था। जैसा कि मुझे मालूम हुआ है, इनकारीका कारण यह था कि आपने सफाई-दारोगाकी रिपोर्ट को काफ़ी अनुकूल नहीं समझा । अब मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश किया गया है कि परवानोंको नया करानेके उद्देश्यसे सफाई-दारोगा जो भी फेरफार सुझाये उन सबको मेरे मुअक्किल पूरा करके उसफी आपत्तिका निवारण कर देंगे ।

सज्जाद मियाजानने तो, मुझे मालूम हुआ है, सफाई-दारोगाके मुआयनेके बाद, जो गत दिसम्बर में हुआ था, फेरफार कर ही लिये हैं। मेरा विश्वास है कि पहले जो भी आपत्तियाँ रही हों, वे इस फेरफारसे मिट जायेंगी। दूसरे दो मामलों में मैं चाहता हूँ कि, अगर आपको मंजूर हो तो आप स्वयं सफाई-दारोगाके साथ चले चलें और वह जो भी आपति बताये उसे लिख लें, ताकि सब त्रुटियोंको दूर किया जा सके ।

मुझे विश्वास है कि मेरे मुअक्किल आपको सन्तोष दिला सकेंगे, क्योंकि परवाने देनेसे इनकारीफा परिणाम उनके लिए बहुत गम्भीर होनेवाला है।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
(ह०) डब्ल्यू० ए० वांडरप्लक, अटर्नी
 
वास्ते -सुलेमान इब्राहीम, सज्जाद
 
मियाजान और अब्दुल रसूल
 

इनमें से प्रत्येक व्यक्तिको इस प्रकारका उत्तर दे दिया गया था:

एस० ई० वावड़ाने १५ दिसम्बर, १८९७ को एक अर्जी दी थी। उसका मंशा मचिसन स्ट्रीटमें प्लाट नं० ३७ पर बने हुए मकानमें खुदरा दूकान खोलनेके लिए, परवाना माँगना था। यह दूकान


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