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प्रार्थनापत्र : चेम्बरलेनको
अपलि

सज्जाद मियाजान । अर्जी नं० १०-१८९८ ।

श्री लॉटनने सफाई-दारोगाफी यह रिपोर्ट पढ़ी:

सफाई-सम्बन्धी रिपोर्ट

मैंने ३६, मचिसन स्ट्रीटका निरीक्षण किया । इस स्थानमें खुदरा दूकान खोलनेका परवाना मांगा गया है । दूकान बहुत ही गन्दी हालतमें है और सोनेके कमरेमें उससे सीधा रास्ता है । सोनेके कमरे में वह, उसकी पत्नी, लड़की और एक सहायक रहते हैं।

(ह०) जैस० मैकडॉनल्ड
 
सफाई-दारोगा
 

और उन्होंने परवाना-अधिकारीका निर्णय और कारण तथा अर्जदारके नाम परवाना-अधिकारीका २३ दिसम्बर, १८९७ का पत्र पेश किया । बादमें उन्होंने सज्जाद मियाजानको बुलाया, जिसने विधिपूर्वक शपथ ग्रहण करनेके बाद बयान दिया:

मैं इस परवाने का अर्जदार हूँ। मैं नेटालमें सात वर्ष और न्यूकेंसिलमें सात वर्ष रहा हूँ। मेरे पास इसी दूकानके लिए पाँच वर्षतक निगम (कारपोरेशन ) का परवाना रहा है ।

जबसे मैंने परवानेकी अर्जी दी, सफाई-दारोगा या निगमके किसी दूसरे अधिकारीने यह नहीं बताया कि मुझे परवाना देनेसे क्यों इनकार किया गया । मुझे मालूम ही नहीं कि परवाना देनेसे इनकार क्यों किया गया । मेरे अर्जी देनेके बाद परवाना-अधिकारीने मेरी दूकानका मुआयना नहीं किया । मेरे मालकी कीमत लगभग ६०० पौंड है । सफाई-दारोगाकी रिपोर्टमें बताया गया है कि मैं, मेरी पत्नी, पुत्री और एक सहायफ एक ही कमरमें रहते हैं। हम एक ही कमरमें नहीं रहते । न हम रिपोर्टफी तारीखको ही रहते थे । सहायफ एक अल्ला कमरेमें रहता है । रिपोर्ट की तारीखके बाद मैंने अपनी दूकानमें फेरफार किया है । पाखाना अहातेके एक -दूरके कोने में हटा दिया गया है। मैं नहीं जानता कि रिपोर्टकी तारीखको मेरी दूकान गन्दी हालतमें थी और निरीक्षकने उस समय यह बात मुझे नहीं बताई ।

परिषद सदस्य केम्प [ के पूछने ] पर : मैंने, बिना किसीके कहे, खुद ही फेरफार किया है ।

चार्ल्स ओ'ग्रेडी गविन्सने आगे शपथपूर्वक कहा : मैंने आज सज्जाद मियाजानकी दूकानका मुआयना किया और उसे सन्तोषजनक हालतमें पाया । उसमें दो सोनेके कमरे हैं - बहुत साफ और तख्ते जड़े हुए; उनमें भीतर अस्तर है और भीतरी छतें भी मढ़ी हुई है ।

स्वच्छताकी दृष्टिसे मैं नहीं समझता कि परवाना देनेसे इनकार किया जाना चाहिए ।

परिषद सदस्य हेस्टी [ के पूछने] पर : मुझे नहीं मालूम कि सोनेके कमरों में कितने लोग रहते हैं ।

कमरोंका माप १७४१२' और ११-१२' और ऊँचाई १० है । ज्ञातव्य : परवाना-अधिकारीके दिये हुए कारण प्रार्थनापत्रमें उपलब्ध हैं। अब सज्जाद मियाजान, उधारी देनेवालों द्वारा माल देना बन्द कर दिया जानेके कारण, दिवालिया हो गया है ।

परिशिष्ट घ
डर्बन
 
दिसम्बर २४,१८९८
 

श्रीमान् मो० क० गांधी

प्रिय महोदय,

मुझे आपका कलका पत्र मिला । मैं विक्रेता-परवाना अधिनियमको बहुत लज्जाजनक और बेईमानीभरा विधान मानता हूँ। बेईमानीभरा और लज्जाजनक -क्योंकि इस मंशाको जरा भी छिपाया नहीं गया कि उसे

१. पत्र उपलब्ध नहीं है।

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