पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/८६

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२२. 'पत्र: प्रार्थनापत्र भेजते हुए
डर्बन
 
जनवरी १२, १८९९
 

सेवामें

परमश्रेष्ठ सर वाल्टर फ्रान्सिस हेली-हचिन्सन, सेंट माइकेल तथा सेंट जार्जके परम प्रतिष्ठित संघके नाइट-कमांडर, नेटाल उपनिवेशके गवर्नर, प्रधान सेनापति तथा उप-नौसेनापति और वतनी आबादीके सर्वोच्च अधिकारी, पीटरमरित्सबर्ग

परमश्रेष्ठ ध्यान देनेकी कृपा करें,

मुझे १८९७ के विक्रेता-परवाना-अधिनियम १८ के सम्बन्धमें एक प्रार्थनापत्रकी तीन नकलें आपकी सेवामें भेजनेका मान प्राप्त हुआ है। इस प्रार्थनापत्रपर मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन ऐंड कंपनीके श्री अब्दुल कादिर तथा अन्य व्यक्तियोंके हस्ताक्षर है और यह सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश-सचिवकी सेवामें भेजनेके लिए है। परमश्रेष्ठ जैसा उचित समझें वैसे मन्तव्यके साथ इसे भेज देनेकी कृपा करें।

आपका, आदि,
 

[अंग्रेजीते]

मो० क० गांधी
 

सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश-मन्त्री, लंदनके नाम नेटालके गवर्नरके खरीता नं. ६, ता०१४ जनवरी, १८९९ का सहपत्र ।

कलोनियल आफिस रेकर्ड्स, मेमोरियल्स ऐंड पिटिशन्स १८९८-९९ ।

२३. पत्र : दलपतराम भवानजी शुक्लको
१४, मक्युरी लेन
 
डर्बन, नेटा
 
जनवरी १७, १८९९
 

श्री दलपतराम भवानजी शुक्ल'

प्रियवर शुक्ल,

मुझे कालाभाई के पाससे महीनोंसे कोई खबर नहीं मिली। मैं बहुत चिन्तित हूँ कि उनके हाल-चाल क्या हैं, वे क्या कर रहे हैं और उनकी आर्थिक सम्भावनाएँ कैसी हैं। आप कृपया पता लगाकर मुझे सूचित करेंगे? मेहता से मालूम हुआ कि आपका काम वहाँ बहुत अच्छा चल रहा है। मेरे बारेमें उन्होंने आपको सब-कुछ बता दिया होगा इसमें मुझे कोई सन्देह नहीं। मैं अपनी खराब लिखावट सुधार नहीं सका, इसलिए इधर कुछ दिनोंसे टाइप करने लगा हूँ।

आपका, हृदयसे,
 
मो० क० गांधी
 

मूल अंग्रेजी पत्रकी फोटो-नकल (एस० एन० २३२७) से।


१. राजकोटके एक बैरिस्टर ।

२. गांधीजीके बड़े भाई - लक्ष्मीदास गांधी ।

३. डा० प्राणजीवन मेहता- -लंदनके दिनोंसे गांधीजीके मित्र ।

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