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प्रार्थनापत्र : चेम्बरलेनको

है कि जितने भी एशियाइयोंका सफाया किया जा सके उतनोंका कर देना चहिए। आपके प्रार्थियोंको पता चला है कि इस प्रस्तावके अनुसार, वहाँके परवाना-अधिकारीने, सोलहमें से सात या आठ भारतीय दूकानदारोंके परवानोंको फिर जारी करनेसे इनकार कर दिया है। जिन्हें इस प्रकार परवाना देनेसे इनकार किया गया है उनमें से एक डंडीका सबसे बड़ा भारतीय दूकानदार है और उसकी दूकानमें हजारों पौंडका माल भरा पड़ा है। न्यूकैसिलके परवाना- अधिकारीने ऐसे तीन परवाने देनेसे इनकार कर दिया है, जो कि गत वर्ष भी रोक लिये गये थे-- इनका भी जिक्र परिशिष्टमें है। प्रार्थी परवाना पानेके लिए स्थानिक रूपसे जो कुछ कर सकते हैं सो अब भी कर रहे हैं। इसलिए यह परिणाम अन्तिम नहीं है। परन्तु इससे स्थितिकी गम्भीरताका तो पता भली भाँति चल ही जाता है। उपनिवेशके अन्य अनेक स्थानोंपर प्रार्थ- नापत्र अभी विचाराधीन पड़े हुए हैं।

इस वर्ष अन्तिम परिणाम चाहे जो हो, आपके प्रार्थियोंकी नम्र सम्मतिमें, इस अधि- नियमसे बुराई होनेकी सम्भावना बहुत बढ़ी है; और आपके प्रार्थी हृदयसे आशा करते और नम्र निवेदन करते है कि संलग्न पत्रमें की हुई प्रार्थनापर परमश्रेष्ठ सहानुभूतिपूर्वक और शीघ्र विचार करनेकी कृपा करें।

और इस न्याय तथा दयाके कार्यके लिए, आपके प्रार्थी, अपना कर्तव्य समझकर, सदा दुआ करेंगे।

(ह०) मुहम्मद कासिम कमरुद्दीन ऐंड कं.
 
और अन्य व्यक्ति
 

छपी हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस० एन० २९५५) से।

२६. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
फरवरी २०, १८९९
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

महोदय,

सर्वश्री अमद सुलेमान, इस्माइल' मुहम्मद खोटा और ईसा हाजी सुमार ट्रान्सवाल जानेका इरादा कर रहे हैं। पहले दो अपने व्यवसायके लिए ट्रान्सवालसे आये हैं। उनके पास' वापसी टिकेट हैं। तीसरेका स्टैंडर्टनमें भारी व्यापार चलता है और वे अपने व्यापारका निरीक्षण करने के लिए वहाँ जाना चाहते हैं। पहले दोनोंका सम्बन्ध होडेलबर्गमें चलनेवाले एक व्यापारसे है ।

मैं आभारी हूँगा, अगर आप इन सज्जनोंको ट्रान्सवाल जानेके परवाने दिला सकें।

आपका आशाकारी सेवक,
 
मो०क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइज़, सी० एस० ओ० १५८४/९९ ।

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