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२७. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डबेन
 
फरवरी २८, १८९९
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

महोदय,

अमुक तीन भारतीयोंको ट्रान्सवाल जानेके परवाने दिलानेके सम्बन्धमें मुझे आपके इसी महीनेकी २५ और २७ तारीखोंके पत्रोंकी पहुँच स्वीकार करनेका मान प्राप्त हुआ है।

ट्रान्सवाल-सरकार द्वारा प्लेग सम्बन्धी नियमोंकी घोषणा की जाने तकके अन्तरिम कालमें जो भारतीय सज्जन ट्रान्सवाल जाना चाहते हैं उनको परवाने दिलाने के बारेमें आपके इसी माहकी २५ तारीखके पत्रका भी प्राप्ति-स्वीकार निवेदन करता हूँ। इसके लिए मैं सरकारको नम्रतापूर्वक धन्यवाद देता हूँ।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे ]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइब्ज, सी० एस० ओ०, १५८४/९९ ।

२८. तार: उपनिवेश-सचिवको
पीटरमैरित्सबर्ग
 
फरवरी २८, १८९९
 

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

डर्बनऔर केपटाउनकी सी० लच्छीराम पेढ़ीके सात भारतीय जनवरीको भारतसे चले। अभी वे डेलागोआ-बेमें हैं। उनमें से पाँच केपटाउनके और दो डर्बनके लिए है। प्रवासी-अधिनियमकी कसौटीपर चढ़ने में समर्थ हैं। जहाज़-कम्पनियाँ सूतक (क्वारंटीन) के डरसे उन्हें सवार करनेसे इनकार करती क्या सरकार कृपाकर कम्पनियोंको आश्वासन देगी कि जबतक जहाज़में रोग प्रकट नहीं होता, उन्हें सूतकका डर नहीं होना चाहिए? पाँच व्यक्ति सवारी पाते ही केपटाउन चले जायेंगे। सरकार उनपर देशके अन्दर जो भी सूतक जारी करना उचित समझे उसे सातों व्यक्ति पालेंगे।

गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइब्ज़, सी० एस० ओ०१५८४/९९ ।

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