पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डवन
 
मार्च १, १८९९
 

सेवामें

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

महोदय,

अमुक सात भारतीयोंको डेलागोआ-बेसे इस उपनिवेशमें आने देनेकी बाबत अपनी अर्जीके सम्बन्धमें मुझे आपके कल और आजके तारोंकी प्राप्ति स्वीकार करनेका मान प्राप्त हुआ है।

आपके निर्देशके अनुसार मैंने स्वास्थ्य अधिकारीसे पत्र-व्यवहार किया है। आपके आजके पत्रके उत्तरमें मेरा निवेदन है कि उक्त व्यक्ति हैदराबाद, सिन्धके हैं, जहाँसे वे ४ जनवरीको निकले थे। वे १४ जनवरी या उसके आसपास सफरी जहाज़ द्वारा बम्बईसे रवाना हुए। जहाज़ लामू और मोम्बासा होता हुआ जंजीबार गया। जंजीबारमें वे पिछले माहकी ९ तारीखको या उसके आसपास जनरल जहाजपर सवार हुए। अब वे डेलागोआ-बेमें उतर गये हैं। उनमें से दो नेटालमें रहेंगे और वे अधिनियमके अर्थके अन्तर्गत वजित प्रवासी नहीं हैं। शेष पाँच दर्शकोंके रूपमें उपनिवेशमें आना चाहते हैं। सरकार देशके अन्दर उनपर जैसा भी सूतक जारी करना उचित समझे उसका वे पालन करेंगे। कम्पनियाँ सरकारसे यह आश्वासन पाये बिना उनको टिकट देनेको राजी नहीं हैं कि उनके जहाज़ोंको, सिर्फ भारतीय सवारियाँ होनेके कारण ही, सूतकमें नहीं रखा जायेगा।

इन परिस्थितियोंमें मुझे भरोसा है, सरकार ऐसा आदेश दे देनेकी कृपा करेगी, जिससे कि उक्त व्यक्ति उपनिवेशमें आ सकें।

सम्बद्ध पाँच व्यक्तियोंके लिए दस्तूरके अनुसार रकम जमा कर दी जायेगी।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

पीटरमैरित्सबर्ग आर्काइव्ज, सी० एस० ओ०, पत्र संख्या १७७२/९९ ।

Gandhi Heritage Portal