पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 3.pdf/९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३३. पत्र: उपनिवेश-सचिवको
१४, मयुरी लेन
 
डर्बन
 
मार्च २२, १८९९
 

माननीय उपनिवेश-सचिव

पीटरमैरित्सबर्ग

महोदय,

भारतीय समाजको यह देखकर संतोष हुआ है कि प्रवासी प्रतिबन्धक-अधिनियमके अन्तर्गत प्रस्थान-सम्बन्धी परवानोंपर यात्रियोंसे वसूल किया जानेवाला १ पौंडका शुल्क उठा दिया गया है।

मैं बताना चाहता हूँ कि विक्रेता-परवाना अधिनियम-सम्बन्धी प्रार्थनापत्र में इस विषयके जिस प्रार्थनापत्रका उल्लेख किया गया है, उसका मसविदा बनाने के पहले, मुझसे कहा गया था कि, मैं उपनिवेशके विद्वान वकीलोंकी राय एकत्र कर लूं और यदि राय अनुकूल मिले तो उक्त नियमको उठानेका अनुरोध करनेकी दृष्टिसे सरकारको सेवामें उपस्थित होऊँ । मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि अबतक जो रायें मिली है वे इस मतके पक्षमें हैं कि उक्त नियम अवैध था।

आपसे मेरा निवेदन है कि इस पत्रकी विषय-वस्तु परम माननीय उपनिवेश-मन्त्रीकी दृष्टिमें ला दें, ताकि उन्हें पता चल जाये कि सरकारने कृपापूर्वक एक पौंडी शुल्कके सम्बन्धमें शिकायतका कारण दूर कर दिया है।

आपका अत्यन्त आज्ञाकारी सेवक,
 
मो० क० गांधी
 

[अंग्रेजीसे]

मुख्य उपनिवेश-मन्त्रीके नाम नेटालके गवर्नरके २५ मार्च, १८९९के खरीता नम्बर २९ का

सहपत्र नम्बर १॥




१.देखिए पृष्ठ २६ ।


Gandhi Heritage Portal