पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

७१. पत्र: लाला लाजपतरायको

साबरमती आश्रम
२ मार्च, १९२६

प्रिय लालाजी,

अब इतनी देरसे आपके पत्रका उत्तर दे रहा हूँ, इसके लिए आप क्षमा करेंगे। बात यह है कि मुझे प्रतिदिन कुछ सीमित समयतक ही काम करनेकी अनुमति है; और चूँकि जब आपका पत्र मिला, उस समय पण्डितजी[१] यहीं थे, इसलिए मेरा लगभग सारा समय उन्होंमें लग गया। सो पत्र लिखनेका काम रुका रह गया।

यद्यपि आपके पत्रपर "गोपनीय" लिखा हुआ था, पर मैंने सोच-विचारकर थोड़ी छूट ले ली और उसे इस खयालसे पण्डितजीको दिखा दिया कि तब उनके साथ विभिन्न महत्त्वपूर्ण मामलोंकी चर्चा करना ज्यादा लाभदायक हो सकेगा। मुझे लगा कि जब हम ऐसे विषयोंपर बातचीत कर रहे हैं, जिनसे हम सबका सम्बन्ध है तो उन्हें आपके भी विचार मालूम हो जाने चाहिए।

कल मैंने आपको एक तार भेजा है। उसमें कहा है कि अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलनके निमित्त यहाँसे जानेवाले प्रतिनिधि मण्डलकी सदस्यता आप स्वीकार करें या नहीं, इस सम्बन्ध में कोई निर्णय नहीं दे सकता। वैसे अगर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी कौंसिलोंके बहिष्कारकी उस संशोधित योजनापर अमल शुरू करती है, जो कांग्रेसके पिछले अधिवेशनमें सोची गई थी तब तो आपके इस प्रतिनिधि मण्डलकी सदस्यता स्वीकार करनेपर हामी भरना मेरे लिए बहुत मुश्किल होगा।

इस समय अ० भा० कांग्रेस कमेटीको क्या करना चाहिए, इस सम्बन्धमें मेरे सारे विचार पण्डितजीको साफ-साफ मालूम हो गये हैं। इसलिए मैं उन्हें यहाँ फिरसे नहीं दोहरा रहा हूँ। सिद्धान्ततः देखें तो यह चीज कांग्रेसके प्रस्तावको परिधिसे बाहर है, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यदि आप लोग कौंसिलोंमें अपनी-अपनी सदस्यता छोड़ देते हैं तो प्रतिनिधि मण्डलमें या किसी ऐसी समिति या सम्मेलनमें, नामजदगीको स्वीकार करना प्रतिष्ठाका काम नहीं होगा, जिसका सम्बन्ध सरकारसे हो। कितना अच्छा होता, यदि आप उस समय आ सकते, जब पण्डितजी यहाँ थे।

सोमा-प्रान्त-सम्बन्धी प्रस्तावकी प्रगतिको मैं अत्यन्त व्यथित मनसे देखता रहा हूँ। इस विषयमें अपनी निजी राय मैंने पण्डितजीको दे दी है, ताकि वह सभी सम्बद्ध जनोंको जता दी जाये।

मोतीलालजीने मुझे बताया कि कोई इस्तीफे नहीं दिये गये—सिवाय इसके कि एक व्यक्तिने इस्तीफा देने की धमकी दी, एकको इस्तीफा देनेपर मजबूर किया गया और एकने देकर वापस ले लिया।

 
  1. पण्डित मोतीलाल नेहरू।