—आप साबरमती आ जायें। क्या आप इस महीने आ सकते हैं? अप्रैलमें डाक्टरी सलाहके अनुसार शायद में किसी पहाड़ी स्थानपर चला जाऊँगा।
स्मरण रहे कि सोमवार मेरा मौन-दिवस है। आप जब चाहें आ जायें और आश्रममें ठहरें।
हृदयसे आपका,
नेशनल यूनिवर्सिटी
करोल बाग
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३४४) की फोटो-नकलसे।
८७. पत्र : डॉ० प्रतापचन्द्र गुहा रायको
साबरमती आश्रम
५ मार्च, १९२६
प्रिय मित्र,
यह भी खूब रही! भूलें हुईं, लेकिन कितनी मजेदार! आपने जिस तारका जिक्र किया है, मुझे नहीं मिला। आपका तार मैंने यहाँ कई मित्रोंको दिखाया, लेकिन हममें से कोई भी नहीं समझ पाया कि तार किस जगहसे आया है और सबने यही मान लिया कि काकोरी केसके किसी कैदीने संयुक्त प्रान्तसे तार दिया है। मेरे दिमागमें यह वात आनी चाहिए थी कि प्रान्त शायद बंगाल हो और यह आप हैं जो रिहा हुए हैं। अब आपके पत्रसे सही बात मालूम हो पाई है।
आप जब-कभी साबरमती आयेंगे, निश्चय ही आपकी कताईकी क्षमता मैं देखूँगा। पता नहीं, श्रीमती रायको मेरा वह पत्र मिला भी या नहीं जो आपके कैद जानेके बाद मैंने उन्हें लिखा था।
हेमेन्द्र बाबूकी पुस्तक कब छप रही है? यदि वे या आप मुझे सूचित करेंगे कि हदसे-हद कबतक पुस्तक छप जानेकी सम्भावना है तो मैं प्रस्तावना-स्वरूप कुछ पंक्तियाँ सहर्ष लिख दूँगा।
हृदयसे आपका,
३८ ए, कालीघाट रोड
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३४५) की माइक्रोफिल्मसे।