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पत्र : डॉ० एम० ए० अन्सारीको

कल मैंने अपना वजन लिया था और देखा कि वह २ पौंड बढ़ा है। अब मैं १०१ पौंड हूँ। निश्चय ही गुजराती 'नवजीवन' तुम्हें हर हफ्ते मिलता रहेगा। ताजा अंक मैं अभी अलग बुक पोस्टसे भेज रहा हूँ। स्वामीसे कह रहा हूँ कि आगेके लिए वह तुम्हारा नाम दर्ज कर ले।

कमलाका विवाह अच्छी तरह हो गया। कोई आडम्बर नहीं था, केवल धार्मिक संस्कार किये गये। प्यारेलाल कल आया। देवदास एक दिनके लिए आया था। वह मंगलवारको वापस देवलाली चला गया। मथुरादास बराबर, लेकिन बहुत धीमी प्रगति कर रहा है। सतीश बाबू, उनकी पत्नी और बेटा अरुण यहाँ हैं।

तुम्हारा,

श्रीयुत कृष्णदास

११०, हाजरा रोड

कलकत्ता

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३४७) की माइक्रोफिल्मसे।

९०. पत्र : डॉ० एम० ए० अन्सारीको

साबरमती आश्रम
५ मार्च, १९२६

प्रिय डॉ० अन्सारी,

आपका तार मिला, जिसमें आपने खबर दी है कि आप जल्दी ही जहाजसे इंग्लैंडके लिए रवाना हो रहे हैं। तार पढ़कर मुझे आश्चर्य-सा हुआ। क्योंकि आपकी इस आसन्न यात्रा के बारेमें मुझे कोई जानकारी नहीं थी, न अब है। खैर; मुझे उम्मीद है कि आपके लौटनेतक भी आपके इस मरीजका शरीर इस लायक तो बचा रहेगा ही कि आप उसकी जाँच करें और उसका मनचाहा इलाज करें।

लेकिन, आज एक तार मिला है, जिसमें सूचित किया गया है कि अब जो हिन्दू-मुस्लिम समिति नियुक्त की जानेवाली है, उसके एक सदस्य आप भी होंगे। इसका मतलब क्या यह है कि आपकी यात्रा स्थगित हो गई है या कि समिति आपके लौटनेके बाद अपना काम शुरू करेगी? पण्डित मोतीलालजीके आग्रहपूर्ण अनुरोधको तो मैंने स्वीकार कर लिया है, लेकिन मुझे इसमें सन्देह है कि हम कुछ कर पायेंगे।

आप जब भी जायें, मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ रहेंगी। आशा है, बेगम अन्सारी अब काफी बेहतर होंगी। पता नहीं, हकीमजी कैसे चल रहे हैं!

हृदयसे आपका,

डॉ० एम० ए० अन्सारी
दिल्ली

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३४८) की फोटो-नकलसे।