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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यद्यपि बिलकुल ऐसा तो नहीं, लेकिन इसी प्रकारका एक अन्य विवाह आश्रमके तत्त्वावधानमें गत रविवारको सम्पन्न हुआ। वह मारवाड़ी समाजका था। श्री जमनालाल बजाजने अपनी बड़ी लड़की चि० कमलाका कन्या-दान स्वर्गीय श्री कन्हैयालालजीके पुत्र चि० रामेश्वर प्रसादको किया था। भाई रामेश्वर प्रसाद गुजरात विद्यापीठमें अध्ययन करते हैं। इस विवाहमें दोनों पक्षोंके घनिक होनेपर भी केवल धार्मिक-विधिसे विवाह संस्कार सम्पन्न करनेकी बात स्वीकार करना दोनों परि वारोंके लिए अत्यन्त कठिन काम था। इतनी सादगीसे धनिक मारवाड़ियों में आजतक एक भी विवाह किये जानेकी बात सुननेमें नहीं आई है। सामान्य रूपसे यह विवाह वर्षामें अथवा बम्बईमें होना चाहिए था। श्री जमनालालजीका विचार इस विवाह को बिलकुल किसी आडम्बरके बिना और हो सके तो कमसे-कम खर्चसे सम्पन्न करनेका था, और इसके साथ ही उनकी अभिलाषा विवाहको इस तरह सम्पन्न करनेकी थी जिससे वर-कन्या विवाहका रहस्य समझ जायें, विवाह केवल धार्मिक क्रिया है, यह बात दोनों समझ सकें तथा दोनोंका एक-दूसरेके प्रति क्या धर्म है, यह भी स्पष्ट रूपसे जान सकें। इस तरहका विवाह तो आश्रमकी भूमिमें ही हो सकता है, ऐसा जमनालालजीको तथा मुझे लगा। लेकिन वर पक्षकी ओरसे सहमति न मिलती तो यह धार्मिक सुधार कदापि नहीं हो सकता था। परन्तु श्री रामवल्लभजी और श्री केशवदेवजी, रामेश्वर प्रसादकी मातुश्री और अन्य बूढ़े-बड़ोंको समझा सके और उन्होंने उन सबकी सहमति प्राप्त कर ली।

इस विवाहमें भी केवल मित्रोंको ही निमन्त्रण-पत्र दिये गये थे। सामान्यतः जैसा निमन्त्रण-पत्र भेजा जाता है, वैसा नहीं भेजा गया। भोज आदि भी नहीं दिया गया। उपहार आदि भी नहीं दिये गये। केवल प्राचीन धार्मिक विधिके अलावा और कुछ नहीं किया गया था। वर-कन्या दोनोंने केवल खादी पहनी थी। दोनों विवाहोंमें सप्तपदीके समय वर-कन्याको जो प्रतिज्ञा लेनी थी वह प्रतिज्ञा उन्होंने अपनी- अपनी मातृभाषामें मेरे समक्ष और मेरे बताये अनुसार ली।

यह है सप्तपदी और वरकी अन्तिम प्रतिज्ञा:

सप्तपदी

वर कन्याको कहता है :

१. इष एकपदी भव। सा मामनुव्रता भव।

इच्छाशक्ति प्राप्त करने के लिए एक कदम भर। मेरा व्रत पूर्ण करने में मेरी मदद कर।

कन्या: मैं आपके प्रत्येक सत्य-संकल्पमें सहायक हूँगी।

२. ऊर्जे द्विपदी भव। सा मामनुव्रता भव।

तेज प्राप्त करनेके लिए दूसरा कदम भर। मेरा व्रत पूर्ण करनेमें मेरी मदद कर।

कन्या: मैं आपके प्रत्येक सत्य-संकल्पमें सहायक हूँगी।