पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

८. पत्र : बिशप फिशरको

साबरमती आश्रम
११ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

अमेरिका रवाना होने से पूर्व लिखा गया आपका पत्र मिला। बड़ी खुशी हुई। आशा है, आप और श्रीमती फिशर अमेरिकामें सानन्द समय बितायेंगे।

दक्षिण आफ्रिकी संघर्षका अभी चाहे जो भी परिणाम हो, मुझे इस बात में किसी भी तरहका सन्देह नहीं है कि जो बीज आपने बोया था और जिसे अब श्री एन्ड्रयूज सींच रहे हैं, वह उचित समयपर पर्याप्त फल देगा। सत्यकी अन्तिम विजय में मेरा विश्वास डिगाया नहीं जा सकता और मेरे लिए अगर किसी चीजका कोई महत्त्व है तो वह सत्य ही है। सत्यके मार्गपर चलते हुए हम जीवनमें मिले सारे कष्ट उस समय भूल जायेंगे, जब हम चोटीपर पहुँच जायेंगे।

श्रीमती फिशरने मुझसे सन्देश माँगा है। मैं तो केवल वही बात फिर दोहरा सकता हूँ जो मैं अपने पास आनेवाले अमेरिकी मित्रोंसे कहता रहा हूँ; अर्थात् सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि भारतीय आन्दोलनका गम्भीरतापूर्वक और सावधानीसे अध्ययन किया जाये। अमेरिकामें में जो कुछ होते देख रहा हूँ, वह दुःखद है। वहाँ या तो हमारे आन्दोलनको बहुत बढ़ा-चढ़ाकर या फिर बहुत ही घटाकर देखा जाता है। दोनोंका मतलब असलियतको तोड़ना-मरोड़ना है। मैं इस आन्दोलनको स्थायी महत्त्वकी चीज मानता हूँ और इसमें बहुत महत्त्वपूर्ण परिणामोंकी सम्भावना देखता हूँ। इसलिए पूरी सावधानी से इसका अध्ययन करनेकी जरूरत है; इसे अखबारी खबरोंकी तरह सतही तौरपर देखनेसे काम नहीं चलेगा। तो ईश्वर करे, आपकी अमेरिका यात्रा वहाँके लोगोंको भारतके इस आन्दोलनका ज्यादा सही मूल्यांकन करनेमें सहायक हो।

कहने की जरूरत नहीं आप जब कभी आश्रम आयेंगे हम आपका स्वागत करेंगे।

हृदयसे आपका,

बिशप फिशर

१५०, फिफ्थ एवेन्यू,

न्यूयार्क सिटी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४०९५) की फोटो - नकलसे