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पत्र: पी० एस० वारियरको

ईश्वरार्पण करे। इस ढंगसे काम करने से हमेशा हमारे सामनेकी सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और जहाँ भी हमसे जो भूल होती है वह हमें दिखाई दे जाती है। आपने अपने मित्रोंकी जिस छोटी-सी मंडलीका उल्लेख किया है, उसका सत्संग करते रहिए; मेरी सलाह आपको हमेशा मिलेगी।

मैं आशा करता हूँ कि आपका मन शान्त होगा और पड़ोसियोंसे आपके सम्बन्ध प्रेमपूर्ण होंगे तथा आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा।

हृदयसे आपका,

मदाम आँत्वानेत मिरबेल

१००, रचू ब्रूल मेजाँ

लाइल, (फ्रांस)

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४०९६) की फोटो-नकलसे।

११. पत्र : पी० एस० वारियरको

साबरमती आश्रम
१२ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। पारसल मुझे पत्र मिलनेके चार-पाँच दिन पहले ही मिल गया था। दोनों के लिए धन्यवाद।

मैं समझता हूँ कि मेरे लिए तो आपकी दवा बेकार होगी, क्योंकि २४ घंटेमें मैं दवा के तौरपर केवल एक या दो पदार्थ ही ले सकता हूँ। क्योंकि उतने समय में चाहे वे दवाके रूपमें हों या आहारके रूपमें, मैं केवल ५ पदार्थ ही ले सकता हूँ। इसलिए यदि आपकी गोलीमें एकसे अधिक पदार्थ हों तो मुझे उसको नहीं लेना चाहिए, क्योंकि तब फिर मुझे कोई भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत पी० एस० वारियर

आर्य वैद्यशाला
कोट्टक्कल

मलाबार

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४०९७) की फोटो नकलसे।