मैं आपके मित्र और पतिको अलगसे पत्र नहीं लिख रहा हूँ। मेरा लड़का देवदास इन दिनों यहाँ नहीं है। वह मेरे एक सम्बन्धीकी सेवा-परिचर्या कर रहा है। मैं आपका पत्र उसके पास भेज रहा हूँ।
मैं आशा करता हूँ कि 'यंग इंडिया' आपको बराबर मिल जाता होगा। यदि नहीं मिलता हो तो कृपया मुझे सूचित कीजिए। मैं आपको उर्दू और देवनागरीमें नमूनेके पृष्ठ भेज रहा हूँ।
हृदयसे आपका,
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४०९९) की फोटो-नकलसे।
१४. पत्र: आर० ए० ह्यमको
साबरमती आश्रम
१३ फरवरी, १९२६
प्रिय मित्र,
आपका पत्र पाकर खुशी हुई। भिक्षा-वृत्ति निरोधक समितिमें हमारी जो मुलाकात हुई थी, मुझे अच्छी तरह याद है। अमेरिका जाकर आप अपने शरीरको जो आराम दे रहे हैं, वह आपके लिए जरूरी था। मेरी कामना है कि वहाँ आपके दिन सुखसे बीतें।
मैं ईसा मसीहको ईश्वरका एक मात्र पुत्र या ईश्वरका अवतार नहीं मानता, लेकिन मानव जातिके एक शिक्षकके रूपमें उनके प्रति मेरी बड़ी श्रद्धा है। उनके जीवनके तथा 'सरमन ऑन द माउंट' में संक्षेपमें दी गई उनकी शिक्षाओंके चिन्तन-मननसे मुझे बहुत ही शान्ति और आनन्द प्राप्त हुआ है।
हृदयसे आपका,
अमेरिकन मराठी मिशन
वाई
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४१००) की फोटो-नकलसे।