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१९. पत्र: जेठालालको

साबरमती आश्रम
रविवार, फाल्गुन सुदी २ [१४ फरवरी, १९२६][१]

भाई जेठालाल,

तुम्हारा पत्र मिला। न्यासपत्र बादमें नहीं, बल्कि पहले ही तैयार करना है। और ऐसा ही उचित भी है। अगर पुजारी कामचलाऊ होगा तो मन्दिर भी कामचलाऊ ही रहेगा। मन्दिरका अच्छा होना केवल अच्छे पुजारीपर निर्भर करता है। भाई जगजीवनदाससे बातचीत करके इसके सम्बन्धमें कोई निर्णय कर डालो। फिर मुझे लिखो।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १११३५) की माइक्रोफिल्मसे।

२०. भेंट: दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलको

१४ फरवरी १९२६

दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलके सदस्य सर्वश्री गॉडफ्रे, पाथेर, मिर्जा और भायात कल रात यहाँ पहुँचे और आज सुबह सत्याग्रह आश्रम में उन्होंने श्री गांधीसे मुलाकात की।

उनके साथ उन लोगोंने पूरे तीन घंटे तक दक्षिण आफ्रिका की स्थितिपर विचार किया।

श्री गांधीका यह निश्चित मत था कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंकी मुक्ति तभी सम्भव है, जब उनमें आत्म-विश्वास और आत्म-बलिदानकी प्रबल भावना हो। उन्हें पूरा विश्वास था कि विश्व जनमतके सामने दक्षिण आफ्रिकाको भी झुकना पड़ेगा। उन्होंने आवश्यकता होनेपर दक्षिण आफ्रिका जानेकी रजामन्दी जाहिर की, लेकिन आवश्यकता वैसी है या नहीं, यह तय करनेका अधिकार उन्होंने अपने ही हाथों रखा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १५-२-१९२६
 
  1. पत्र में आश्रमके न्यासपत्रको लिखा-पढीका उल्लेख हुआ है। यह १२ फरवरी, १९२६ को हुई थी।