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२१. पत्र: मणिबहन पटेलको

सोमवार, १५ फरवरी १९२६

चि० मणि,

कार्ड मिला। डाकका वक्त है। यदि तुम दोनों[१] किसी निश्चयपर पहुँच चुके हो तो उसके अनुसार करना। यदि न पहुँचे हों तो हम सब मिलकर निर्णय करेंगे। मैं यहाँ बैठकर नहीं कर सकता। तुम्हें अभी आना चाहिए या जमनालालजी के साथ, इसका निर्णय तो वहाँके कर्त्तव्यका विचार करके तुम्हींको करना है।

बापूके आशीर्वाद

चि० मणिबन

पता—सेठ जमनालालजी
वर्धा (सी० पी०)
[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो—४: मणिबहेन पटेलने

२२. पत्र : एक जिज्ञासुको

साबरमती आश्रम
१६ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। आपसे मिले बिना सलाह देना कठिन है। साधारण तौरपर निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना चाहिए:

जहाँतक हो सके खुली हवामें सोना और हलकेसे-हलका भोजन करना, उतना ही जितना शरीरको बनाये रखने-भरको पर्याप्त हो, कभी भी जरूरत से ज्यादा न खाना और सभी मसालोंका परिहार। यदि आप कभी दालें लें भी तो बहुत थोड़ी। चिकनाईवाले पदार्थ या ऐसा कोई आहार, जो किसी खाद्य पदार्थके मात्र पोषक तत्त्वोंसे ही बना हुआ हो, ज्यादा न लें। आपको हलकी कसरत रोज, कमसे-कम दिनमें दो बार करनी चाहिए। अच्छे लोगों की ही संगति कीजिए। ऐसी संगतिके अभाव में केवल सत् साहित्य पढ़िये। यदि आपका स्वास्थ्य काफी नहीं गिर गया है तो रोज शीतल जलसे स्नान कीजिए। अपना मन और शरीर बराबर काम में लगाये रखिए। जल्दी सोइए और हमेशा सुबह ४ बजे उठिए। 'भगवद्गीता', 'रामायण' या कोई

 
  1. जमनालाल बजाज तथा मणिबहन।