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पत्र : सी० वी० रंगमचेट्टीको

लेकिन यदि कौंसिलोंसे बाहर आ जाना अच्छा है तो स्कीन कमेटीसे भी बाहर निकल आना जरूरी होगा।

यदि इस महीने के अन्दर आप एक दिनके लिए भी किसी तरह आ सकें तो मुझे खुशी होगी। कठिनाइयाँ तो आपको बल ही देती हैं, इसलिए मैं आशा करता हूँ कि आप बिलकुल स्वस्थ और प्रसन्न होंगे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४१०५) की फोटो-नकलसे।

२५. पत्र : सी० वी० रंगमचेट्टीको

साबरमती आश्रम
१७ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला।[१] अपने-आपको कांग्रेसी कहनेवाला या कांग्रेसका बिल्ला लगाये फिरनेवाला हर आदमी कांग्रेसी नहीं है। कांग्रेसी वह है जो कांग्रेसके निर्देशोंका शब्दश: और अर्थशः पूरा-पूरा पालन करता है। इसलिए मेरी राय में कांग्रेसी वह है जो खादी में पूरा विश्वास करता है, स्वयं खादी पहनता है और सो भी कभी-कभी या दिखावे के लिए नहीं, बल्कि शुद्ध मनसे; जो अस्पृश्यता निवारणमें विश्वास करता है। और तथाकथित अस्पृश्योंसे निस्संकोच भावसे मिलता-जुलता है, जो साम्प्रदायिक एकतामें विश्वास करता है और जब कभी वैसा अवसर आता है तब उस विश्वासके अनुसार आचरण करता है और जो कांग्रेसके अहिंसा और सत्यके सिद्धान्तमें विश्वास करता है।

ऐसे व्यक्तिको सभी सच्चे कांग्रेसियोंका विश्वास पानेका और यदि उन्हें वोट देने में कोई सैद्धान्तिक आपत्ति न हो तो उनका वोट पानेका हकदार होना चाहिए।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, १७-३-१९२६
 
  1. इस पत्रमें रंगमचेट्टीने महात्माजीसे पूछा था कि आगामी चुनावोंमें वे किसकी मदद करें।