पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२८. पत्र : हैरॉल्डमैन को

साबरमती आश्रम
१७ फरवरी, १९२६

प्रिय श्री हैरॉल्ड,

आपके संक्षिप्त पत्रके लिए धन्यवाद । कृपया आगामी शनिवारको अवश्य आइए। मेरे लिए शामके ४ बजेका समय सबसे सुविधाजनक है, लेकिन यदि आपके लिए वह सुविधाजनक नहीं हो तो सुबहके आठ बजेका समय भी मेरे लिए वैसा ही अच्छा है और शामके ३ बजेका भी। क्या आप मुझे यह सूचित करनेकी कृपा करेंगे कि किस समय मैं आपके आनेकी उम्मीद करूँ ?

आपके पत्रपर १२ तारीख पड़ी हुई है। वह आज मिला है और चूँकि मैं देखता हूँ कि आजसे २० तारीखके बीच समय कम है, इसलिए मैं निम्नलिखित तार भी भेज रहा हूँ।

"पत्रके लिए धन्यवाद। सुबहके आठ या शामके चार बजे। शनिवार ठीक रहेगा।"

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४१०९) की माइक्रोफिल्मसे।

२९. पत्र : मोतीबहन चौकसीको

साबरमती आश्रम
बुधवार, १७ फरवरी, १९२६

चि० मोती,

तुम्हारा पत्र मिला। कल तो सिर्फ नाजुकलालका ही मिला। तुम दोनों अब्बास साहवसे मिले, यह बहुत अच्छा किया। तुम्हारी लिखावट अब भी ऐसी नहीं हो पाई है कि मैं उसे ठीक कह सकूँ। 'भरूच' कि उसे मुश्किलसे ही पढ़ा जा सकता है। 'भ' हुआ है। 'ढी' 'छी' की तरह लगता है। 'प' और शब्द तो तुमने ऐसा लिखा है का शुरूका गोल हिस्सा टूटा 'य' का भेद ठीकसे नहीं दिखाया है। इस तरहके और भी बहुत-से उदाहरण बता सकता हूँ।

छोटी लक्ष्मी सो गई थी, फिर भी जब मैंने पूछा तो उसने कहा कि मैं तो अपने बाल काढ़ रही थी। इसलिए आज उसकी सम्मतिसे मैंने खुद ही उसके बाल काट डाले। अब उसका सिर बहुत अच्छा और साफ लगता है। इसी तरह वह अपना अभ्यन्तर भी स्वच्छ कर लेगी, ऐसा वचन तो उसने दिया है।