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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लक्ष्मीदास कल बीजापुर गया। आज या कल लौट आयेगा।

बापूके आशीर्वाद

मार्फत श्री नाजुकलाल चौकसी

भरूच केलवणी मण्डल

भरूच

गुजराती पत्र (एस० एन० १२११६) की फोटो-नकलसे।

३०. पत्र : रामदास गांधीको

बुधवार [१७ फरवरी, १९२६][१]

चि० रामदास,

मैं तो रामनाम जप रहा हूँ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (जी० एन० ६८४९) की फोटो-नकलसे।

३१. आजकी चर्चाका विषय

पाठकों के हाथमें इस लेखके पहुँचते-पहुँचते दक्षिण आफ्रिकी शिष्टमण्डलके अधिकांश सदस्य जलमार्गसे दक्षिण आफ्रिकाकी ओर लौट रहे होंगे। प्रस्थान करनेसे पूर्व सर्वश्री अहमद भायात, जेम्स गॉडफ्रे, पाथेर और मिर्जा मुझसे मिलने आये थे। उन्होंने मेरे साथ दिन-प्रतिदिन परिस्थिति जो रूप लेती जा रही है, उसके सम्बन्धमें बातचीत की। वे जहाँ-कहीं भी गये, सर्वत्र उनका जैसा शानदार स्वागत हुआ और भारतके सभी दलोंने, जिनमें यूरोपीयोंके संगठन भी शामिल हैं, उन्हें जिस प्रकार अपना समर्थन दिया, उसपर उन्होंने सन्तोष व्यक्त किया। लेकिन, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस समर्थनसे उनके मनमें सुरक्षाका कोई भ्रम उत्पन्न नहीं हुआ। उन्होंने यह देख लिया कि भारत मदद देनेके लिए उत्सुक तो बहुत है, लेकिन उसमें मदद देनेकी उतनी सामर्थ्य नहीं है।

रंग-भेद विधेयक संसद में धीरे-धीरे अपना रास्ता तय कर रहा है। सिद्धान्तको दृष्टिसे यह उतना ही बुरा है जितना कि एशियाई कानून। इसलिए यह उतना ही आपत्तिजनक भी है। इसको विधानका रूप देने में जो प्रगति हो रही है, उससे एशियाई विधेयकके विषय में संघ-सरकारका इरादा और संकल्प प्रकट होता है। यह बात दिन-

 
  1. राष्ट्रीय संग्राहलय में सुरक्षित मूल पत्रपर दी गईं डाक-मुहरसे।