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पत्र : रेवरेंड कॉर्नीलियस ग्रीनवेको

साक्ष्यको तुम गलत नहीं बता सकते कि यदि समुद्रका जल न होता तो दुनिया रहने लायक न होती। अफ्रिकाको ही लो, उसके तीन तरफसे समुद्र है और समुद्र तटवर्ती सारे प्रदेश आबाद हैं और वहाँके निवासी सशक्त, स्वस्थ और हृष्ट-पुष्ट हैं।

मुझे खुशी है कि तुमने ईसाई मित्रका मुँह बन्द कर दिया है। यह सोचकर दुःख होता है कि जिन बातोंसे लोगोंको अपना प्रतिपाद्य सिद्ध होता दिखाई देता है, उनके बारेमें वे अनजाने ही यह कल्पना कर लेते हैं कि वैसी बातें सचमुच हुई हैं। तुम खुद कबतक अच्छे और स्वस्थ होओगे?

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४११३) की फोटो-नकलसे।

४५. पत्र : रेवरेंड कॉर्नीलियस ग्रीनवेको

साबरमती आश्रम
(भारत)
२१ फरवरी, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैंने ऊपर जो पता लिखा है, वह मेरा स्थायी पता है और उस पतेपर आप जो भी भेजेंगे, वह बाकायदा मिल जायेगा।

मैं आपकी प्रार्थनाओं और सबकी सद्भावनाओंकी कद्र करता हूँ। इस देशको उनकी सख्त जरूरत है।

मैं अपना कोई फोटो नहीं रखता और न ही मैंने बरसोंसे खास तौरसे बैठकर कोई फोटो खिंचवाया है। इसलिए आप जो भी फोटो देखते हैं, सभी अचानक ही लिये गये हैं। इसलिए अच्छा होगा कि आप फोटोकी माँग न करें।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड कॉर्नीलियस ग्रीनवे

४०९, कोहमवेट स्ट्रीट

टॉर्टन, मैसाचुसेट्स

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १४११४) की माइक्रोफिल्मसे।