पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५३
दोषको छोटा साबित करनेके लिए

आत्म-सम्मान सुरक्षित रखना चाहेंगे, उन्हें मुसीबतें तो उठानी ही पड़ेंगी। अगर आप किसी प्रकारकी कटुता और अतिरंजनाके बिना लिख सकते हैं तो आप इसका हाल लिखकर चाहे जहाँ भेज सकते हैं; आपका यह आचरण सर्वथा उचित होगा। और यह तो सबसे अच्छा होगा कि जब-कभी आपको अवसर मिले, आप खुद अमेरिकावालोंसे ही शिष्ट और शोभनीय ढंगसे इसकी चर्चा करें। नवाँ सवाल है:

क्या आप यहाँके विद्यार्थियोंके लिए मुझे एक छोटा-सा सन्देश भेजनेको कृपा करेंगे? आम तौरपर ये बड़े अच्छे लोग हैं और अपना जीवन 'यंग मैन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन' के काममें लगा देनेकी तैयारी कर रहे हैं।

अगर विद्यार्थियोंसे आपका मतलब भारतीय विद्यार्थी है तो मेरी सलाह इस प्रकार है: उस दूर देशमें आप अपने अच्छे से अच्छे गुणोंका परिचय दीजिए, ताकि आपका जीवन आपके पड़ोसियोंके लिए एक आदर्श बन सके। अपना विवेक त्यागकर पश्चिमका अन्धानुकरण मत कीजिए। और चूंकि आप ईसाई विद्यार्थियोंकी ओरसे बोलते जान पड़ते हैं, इसलिए' में 'बाइबिल' से यह पंक्ति उद्धृत करनेका लोभ संवरण नहीं कर सकता: "पहले तुम ईश्वरके साम्राज्य और उसकी पवित्रताको पानेका प्रयत्न करो, फिर तो सब-कुछ तुम्हें स्वयमेव प्राप्त हो जायेगा।"

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-२-१९२६

५६. दोषको छोटा साबित करनेके लिए

एक जर्मन मित्र द्वारा भेजा निम्नलिखित पत्र में सहर्ष प्रकाशित कर रहा हूँ:[१]

पत्र-लेखकका ऐसा मानना बिलकुल सही है कि जर्मनों या जर्मनीके प्रति में कोई हेय विचार नहीं रख सकता। और कोई यह हिमाकत कर भी कैसे सकता है? जर्मन जाति एक महान् और बहादुर जाति है। उसका अध्यवसाय, उसकी विद्वता और उसकी बहादुरीकी सारी दुनिया सराहना करती है। सभीको यही आशा है कि वह शान्तिके लिए होनेवाले प्रयत्नोंका आगे बढ़कर नेतृत्व करेगी। गत महायुद्धमें वह पराजित जरूर हुई, किन्तु वह पस्त नहीं हुई। अब आवश्यकता सिर्फ इस बातकी है कि वह अपनी अप्रतिम शक्तिका उपयोग सिर्फ अपनी प्रगतिके लिए करनेके बजाय

 
  1. इसका अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्र-लेखकने यंग इंडियाके विभिन्न अंकोंमें प्रकाशित जर्मनीसे भेजे पत्रों और जर्मनीसे सम्बन्धित लेखोंपर अपनी प्रतिक्रिया बताते हुए कहा था कि ये पत्र और लेख जर्मनीका सही परिचय नहीं देते। उसका कहना था कि कैसर और जर्मनी विश्व युद्ध के लिए उतने दोषी नहीं थे, जितना दोषी उन्हें ठहराया जाता है; अन्य देशोंकी तुलनामें वहाँ कुछ-अधिक भ्रष्टाचार नहीं है और जर्मनीके युवक-समाजमें विश्वके सुख-शान्तिके लिए एक नई उत्कण्ठा है।