पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/५२०

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४९८. एक पत्र[१]

आश्रम
साबरमती
१ अक्तूबर, १९२६

प्रिय मित्र,

मेरा खयाल है कि चार्ली एन्ड्रयूज हम दोनोंको समीप लानेके विचारसे ही दक्षिण आफ्रिकाके लिए रवाना होनेसे पहले मुझसे कहते गये थे कि मैं आपको उनका समाचार लिख दूँ। जब वे यहाँसे रवाना हुए, तब उनकी सेहत कोई खास अच्छी नहीं थी। मैं उन्हें कुछ और समयके लिए अपने साथ रखना चाहता था ताकि उनका स्वास्थ्य थोड़ा अच्छा हो जाये। परन्तु जिस स्टीमरमें जानेके लिए उन्होंने अपना स्थान सुरक्षित करवाया था उसे वह किसी भी हालतमें चूकना नहीं चाहते थे। उनका हृदय दक्षिण आफ्रिकाके दुःखी लोगोंके लिए बेचैन था। इसलिए मैंने उन्हें रोकनेका प्रयत्न नहीं किया।

उम्मीद है कि आप अच्छे होंगे।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७०८) की फोटो-नकलसे।

४९९. पत्र: एच॰ एस॰ एल॰ पोलकको

आश्रम
साबरमती
१ अक्तूबर, १९२६

प्रिय हेनरी,

यह पत्र मिली और तुम्हारे दोनोंके लिए है, क्योंकि चार्ली अपनी आदतके मुताबिक मुझसे कहते गये थे कि मैं तुम दोनोंको उनका समाचार दे दूँ। वे शायद मुझसे तुम्हारे सामने इस बातकी ताईद कराना चाहते हैं कि भारतके प्रति उनका प्रेम आज भी उतना ही है जितना पहले था और भारतके लिए उनका प्रेम इंग्लैंडके प्रति उनके प्रेमसे जरा भी कम नहीं है; और उनका प्रेम मानवताके प्रति भी उतना ही व्यापक और गहरा है। वे जिस समय यहाँसे रवाना हुए उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, लेकिन उन्होंने किसीकी नहीं सुनी। वे चाहते तो बड़ी आसानीसे पन्द्रह

  1. पत्र किसे लिखा गया था; यह ज्ञात नहीं है।