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पत्र: एन्ड्रयूज बहनोंको

दिन आराम करके दूसरे स्टीमरपर जा सकते थे; लेकिन उनका मन तो दक्षिणआफ्रिकाके लिए बेचैन था। इसलिए मैंने उनसे विशेष आग्रह नहीं किया।

मैं तुम्हारी 'गीता' की प्रतिका पूरा-पूरा उपयोग कर रहा हूँ। इसकी प्रतिलिपि नियमित रूपसे लगभग प्रतिदिन तैयार की जा रही है और काम पूरा होते ही यह अमूल्य ग्रन्थ बीमा और रजिस्ट्री कराके तुमको भेज दिया जायेगा।

तुमने 'गीता' की कुछ अन्य टीकाओंके बारेमें मुझे लिखा है। यदि मुझे कुछ दूसरी टीकाएँ मिलीं तो मैं तुम्हें उनके नाम लिख भेजूँगा।

मुझे उम्मीद है कि तुम दोनों और बच्चे, सैली, मॉड और माँ स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त होंगे। जैसा कि तुम जानते हो, कुछ महीने पहले देवदासका एपेंडिसाइटिसका ऑपरेशन हुआ था। वह इस समय मसूरीमें है और मजेमें है। रामदास अमरेलीमें खादीका काम देख रहा है।

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७०९) की फोटो-नकलसे।

५००. पत्र: एन्ड्रयूज बहनोंको

आश्रम
साबरमती
१ अक्तूबर, १९२६

प्रिय बहनो,

हालाँकि मुझे आपके चेहरे याद नहीं पडते, लेकिन मुझे यह बात अच्छी तरह से याद है कि मैं १९१४ में आपसे बरमिंघममें मिला था। आपके भाई चार्ली यहाँके लोगोंके अधिकाधिक प्रिय बनते जा रहे हैं। सच तो यह है कि वे जितने अंग्रेज हैं उतने ही भारतीय भी बन गये हैं। उन्होंने स्वेच्छया लोगोंकी सेवा करनेका जो व्रत लिया है, उसे पूरा करनेके लिए वे अब दक्षिण आफ्रिका जा रहे हैं। उनके दक्षिण आफ्रिका रवाना होने से पहले मैंने उनके साथ बड़े सुखके चन्द दिन बिताये थे। आपको जब भी फुर्सत मिले, आप मुझे इस पत्रके उत्तरमें एकाध पंक्ति अवश्य लिखें और बतायें कि आप कैसी है?

हृदयसे आपका,

एन्ड्रयूज कुमारियाँ


आर्डले
ब्रेज लेन, कोवेन्द्री


इंग्लैंड

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७१०) की फोटो-नकलसे।