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५०१. पत्र: बापूभाईको

आश्रम
भाद्रपद बदी १०, १ अक्तूबर, १९२६

भाईश्री बापूभाई,

आपका पत्र मिला: मैं अपना जन्मदिन तो नहीं जानता। हाँ, चरखा द्वादशी[१] जानता हूँ। उस दिन सब लोग सारा दिन सूत कातें और रोज सूत कातनेकी प्रतिज्ञा लें तथा खादी न पहनते हों तो शुद्ध खादी पहननेकी प्रतिज्ञा लें।

मोहनदासके वन्देमातरम्

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ १९९५२) की माइक्रोफिल्मसे।

५०२. तार: ए॰ आई॰ काजीको

[२ अक्तूबर, १९२६][२]

ठीक नहीं रहेगा।


काजी
कांग्रेस


डर्बन

गांधी

अंग्रेजी तार (एस॰ एन॰ १२०२४) की फोटो-नकलसे।

 
  1. भाद्रपदके कृष्ण पक्षको द्वादशी गांधीजीकी जन्मतिथि, जो गुजरात में चरखा-द्वादशीके रूप में मनाई जाती थी।
  2. यह तार दक्षिण आफ्रिकी भारतीय कांग्रेसके अवैतनिक महासचिव ५० आई॰ काजी द्वारा गांधीजीको लिखे १० अक्तूबरके पत्रमें उद्धृत है। पत्रमें तारके दो तारीखको प्राप्त होनेका जिक्र है और उसमें संघ सरकारके शिष्टमण्डलसे गांधीजीको भेंट तथा २० अक्तूबरको एन्ड्यूजकी प्रस्तावित यात्राका भी उल्लेख है। श्री काजीने गांधीजीको पत्रके साथ श्रीमती सोफिया भायला बनाम परवाना अधिकारीके मामले के सम्बन्ध में दिये गये न्यायमूर्ति कार्टरके निर्णयकी प्रतियाँ भी भेजी थी। देखिए "दक्षिण आफ्रिकामें अनिश्चित स्थिति" ४-११-१९२६।