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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैंने उसके बारेमें जो-कुछ सुना है और जो कुछ मैं जानता हूँ, वही में आपको बता रहा हूँ ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत लालताप्रसाद शाद


कायस्थ मुहल्ला


अजमेर

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७११) की फोटो-नकलसे।

५०४. पत्र: आर॰ बी॰ ग्रेगको

आश्रम
साबरमती
२ अक्तूबर, १९२६

प्रिय गोविन्द,

मुझे 'गोल्डन डिलीशियस' सेवोंकी पेटी यथासमय मिल गई थी। सेवोंके पार्सलके लिए कृपया स्टोक्सको मेरी ओरसे धन्यवाद देना। वे खानेमें सचमुच बहुत स्वादिष्ट थे। देखनेमें वे 'गोल्डन' नहीं लगते थे। मैं उन्हें दाँतोंसे चबा नहीं सका, इसलिए मुझे तो वे पकाकर ही खाने पड़े। मैंने दो सेव खाए। बाकी सेव रोगियों और ऐसे व्यक्तियोंमें बाँट दिये गये जिन्हें आप और स्टोक्स भी उनके योग्य समझते।

मैं जानता हूँ कि अभी मैंने तुम्हारे पिछले पत्रोंका उत्तर नहीं दिया है। मैं तुम्हें काफी लम्बा पूरा उत्तर भेजना चाहता हूँ। इसीलिए मैं देर कर रहा हूँ। एन्ड्रयूज चले गये हैं। यात्राकी दृष्टिसे उनकी तबीयत कोई खास अच्छी न थी, लेकिन वे आसानीसे माननेवाले व्यक्ति नहीं हैं। इसलिए मैंने उनसे न जानेका विशेष आग्रह नहीं किया।

श्री आर॰ बी॰ ग्रेग


मार्फत श्री एस॰ ई॰ स्टोक्स
कोटगढ़


शिमला हिल्स

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७१२) की फोटो-नकलसे।