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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हैं वैसे पत्र मुझे प्रकाशित करनेके लिए नहीं भेजे जाने चाहिए। मैं इस उद्देश्यसे ही यह चेतावनी देना आवश्यक समझता हूँ।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ३-१०-१९२६

५०८. सस्ती खादी

प्रान्तीय कमेटीके कोषाध्यक्ष श्री पूँजाभाई हीराभाई सूचित करते हैं कि ३ अक्तूबरसे १८ अक्तूबरतक रिची रोड, पाडा पोलमें स्थित शुद्ध खादी भण्डारमें खादीका सब माल घटे भावोंपर बेचा जायेगा। कुछ चीजोंके दामोंमें ५० प्रतिशतकी कमी की जायेगी; लेकिन जो कमसे-कम कमी होगी वह छः प्रतिशत होगी। काठियावाड़की मोटी खादी ८ आनेके बजाय ४ आने गज बेची जायेगी। कमीजों और कुर्तीके लायक खादी ६ आनेके बजाय ४२ आने गज पड़ेगी। शाल और थैले दुपट्टे २४ रु० के बजाय ११ रु॰ के बिकेंगे: टोपियों बस्तों और निवाड़के दामों में १२३ प्रतिशत कमी की जायेगी। यह तो उनकी भेजी सूचीमें से कुछ वस्तुओंके बारेमें ही है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, ३-१०-१९२६

५०९. पत्र: घनश्यामदास बिड़लाको

रविवार, भाद्रपद कृष्ण १२ [३ अक्तूबर, १९२६]

भाई घनश्यामदासजी,

आपका खत मीला है।

जब पू॰ मालवीजी और मेरी रायमें भेद होता है तब मैं निश्चयपूर्वक सलाह नहि दे सकता हुं क्योंकी मेरा उनसे बड़ा पूज्य भाव है। मेरा तो दृढ़ विश्वास है की कौंसीलमें जाना कमसे-कम आपका कार्य नहीं है। परंतु यदि आपको आत्मविश्वास है और पू॰ मालवीजी चाहते हैं तो आप जा सकते हैं। आरंभ कीया हुआ कार्यको सहजमें नहिं छोड़ सकते हैं। अब तो मेरी राय यह है की आपके मित्रोंको आप कुछ भी कहनेसे रोक दें। और यदि आपको बहुमति मीले तो आप चले जायं। बीचमेंसे नीकल जाना ठीक नहि लगता है। आखरमें तो आप नीकल ही जायंगे। हां यदि आपके स्वास्थ्यके ख्यालसे पू॰ मालवीजी आपको मुक्ति दें तो बड़ा कलयाण होगा। स्वास्थ्यके ख्यालसे भी आपको एसेंबली या तो काउनसिलमें जाना में अनुचित समझता हुं।