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पत्र: मूलचन्द अग्रवालको

आपने जो मुकाबला कीया है उससे मैं सहमत नहि हुं। जमनालालजी यहीं हैं।

आपका,
मोहनदास

मूल पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ६१३६) की नकलसे।

सौजन्य: घनश्यामदास बिड़ला

५१०. पत्र : मूलचन्द अग्रवालको

साबरमती
३ अक्तूबर, १९२६

श्री मूलचंदजी

आपका पत्र मिला है। शिक्षकोंका अभिप्राय इस कारण माँगा गया है कि जिससे राष्ट्रीय शिक्षालयोंमें सीखनेवाले विद्यार्थियोंको खादी सविसमें आनेका सुभीता हो जाय। आजकल तो शिक्षा सत्याग्रहाश्रमके द्वारा ही दी जावेगी। अनुभव बताता है कि एक वर्षमें बुननेतक की सब क्रिया और हिसाब-किताब रखना नहीं सीखा जा सकता है। वेतनकी रकम नहीं बतानेका हेतु यह है कि प्रत्येक मित्र अपनी राय स्वतंत्रतया दे सके।

खादी सविसमें पड़नेके बाद तो आठ घंटेका काम रहता है। विद्यार्थी अवस्था में आश्रमके नियमोंके अनुकूल काम करना पड़ता है। गरीब उमेदवारोंको इतना दिया जाता है कि जिससे कपड़ोंका खर्च भी निकल सके।

आपका,
मोहनदास गांधी

भाई मूलचंदजी,


अध्यापक
ए॰ वी॰ स्कूल
मानपुर


सी॰ आई॰

मूल पत्र (जी॰ एन॰ ८३०) की फोटो-नकलसे।