पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/५३०

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५११. पत्र: बनारसीदास चतुर्वेदीको

साबरमती
भाद्रपद कृष्ण १२ [३ अक्तूबर, १९२६][१]

भाई बनारसीदासजी,

आपका दूसरा लेख मिला है। आप मुझे बताइये कि कब मैंने कबूल किया था कि ५०० मजदूरोंको ब्रि॰ गियाना भेज देनेके प्रयोग करनेके बारेमें जो-कुछ मैंने कहा था वह मेरी गल्ती थी। मुझे इसका स्मरण नहीं है। मैंने जो कुछ कहा है उस लेखको आप भेज सकें तो भेज दें। उसीके साथ आपके लेखको भी में प्रगट करूंगा।

आपका,
मोहनदास

श्री बनारसीदासजी चतुर्वेदी


फीरोजाबाद


ई॰ आई॰ आर॰

मूल पत्र (जी॰ एन॰ २५६६) की फोटो-नकलसे।

५१२. पत्र: कल्याणजी वि॰ मेहताको

भाद्रपद वदी १४, १९८२ [५ अक्तूबर, १९२६][२]

भाईश्री ५ कल्याणजी,

मैंने आपको मणिभाईके विषयमें एक पत्र लिखवाया था। मैं चाहता हूँ कि आप उसका उत्तर तत्काल दे दें। इस सम्बन्धमें स्वयं मणिभाई भी चिन्तित हैं।

बापू

भाईश्री कल्याणजी विट्ठलभाई मेहता


स्वराज्य आश्रम


बारडोली

गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २६७९) की फोटो-नकलसे।

 
  1. डाकको मुहरसे।
  2. डाककी मुहरमें साबरमती, ६-१०-१९२६ है; लेकिन भाद्रपद बदो १४, ५ अक्तूबरको थी।