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५२८. पत्र: वी॰ ए॰ सुन्दरम्को

१० अक्तूबर, १९२६

प्रिय सुन्दरम्,

मुझे तुम्हारा साप्ताहिक उपहार मिलता रहता है। कभी-कभी सावित्रीसे भी लिखनेको कहो।

तुम्हारा,
बापू

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ३१८१) की फोटो-नकलसे।

५२९. पत्र: कृष्णदासको

आश्रम
साबरमती
१० अक्तूबर, १९२६

प्रिय कृष्णदास,

मुझे गुरुजीसे ही तुम्हारे समाचार ज्ञात हुए। तुमने इधर कुछ समयसे मुझे कोई पत्र नहीं लिखा। क्या कारण है? मुझे अपने स्वास्थ्यके बारेमें विस्तारसे लिखो।

यहाँ इस समय लगभग ३० व्यक्ति मलेरियासे पड़े हैं। काकासाहबके पुत्र, शंकरको हल्का-सा मोतीझारा हो गया है और किशोरलाल फिर अपने पुराने मित्र दमाके शिकार बने हुए हैं। देवदास अभी मसूरीमें ही है।

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी प्रति (एस॰ एन॰ १९७२१) की माइक्रोफिल्मसे।