तुम्हारा टहलना बराबर जारी है न? तुम्हें सुबह-शाम दोनों वक्त घूमने जाना ही चाहिए।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ २८७३) की फोटो-नकलसे।
५४९. पत्र: देवचन्द पारेखको
आश्विन सुदी ११, १९८२ [१७ अक्तूबर, १९२६]
आपने उपजातियोंके सम्बन्धमें लिखे पत्रके बारेमें क्या किया?
अब न्यासीके रूपमें मढडा आश्रमका सार्वजनिक रूपसे कब्जा लेनेका काम आपको करना है।
बापूके वन्देमातरम्
गुजराती पत्र (जी॰ एन॰ ५७०२) की फोटो-नकलसे।
५५०. पत्र: बनारसीदास चतुर्वेदीको
आश्विन सुदी, ११, १९८२ [१७ अक्तूबर, १९२६]
आपका पत्र मीलनेको कई दिन हुए परंतु बहोत काम की भीड होनेके कारन मैं उत्तर न लीख सका। मैंने कब लीखा था कि मैंने ब्रिटीश गिआना ५०० आदमी भेजनेका कहा था उसमें कुछ गलती थी? वह लेख कहां है बतलाइये। उस लेख देखने के लिये मैंने आपका पत्र छापनेका रोक रखा है।
आपका,
मोहनदास गांधी
मूल पत्र (जी॰ एन॰ २५७१) की फोटो-नकलसे।