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५५१. भेंट : एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिसे[१]

अहमदाबाद
१७ अक्तूबर, १९२६

एसोसिएटेड प्रेसके प्रतिनिधिने जब महात्मा गांधीसे दिसम्बर मासमें केपटाउनमें होनेवाले गोलमेज सम्मेलनके लिए नियुक्त शिष्टमण्डलके सदस्योंके चुनावके बारेमें पूछा तो उन्होंने कहा:

मेरा खयाल है, सदस्योंका चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया है। सर मुहम्मद हबीबुल्ला शिष्टमण्डलका नेतृत्व करें—यह विचार मुझे पसन्द आया है। शिष्टमण्डलको जिस पेचीदा सवालका हल ढूँढ़ना है, श्री कॉर्बेटको उसका गहरा अनुभव है। यूरोपीय व्यापार जगतके प्रतिनिधि होनेके नाते सर डेरे लिंडसेका दक्षिण आफ्रिकामें काफी प्रभाव होना चाहिए। श्री श्रीनिवास शास्त्रीके बिना यह शिष्टमण्डल बिलकुल अपूर्ण रह जाता। उन्हें उपनिवेश सम्बन्धी समस्याओंकी अच्छी जानकारी है। वे दक्षिण आफ्रिकाके राजनीतिज्ञोंको अच्छी तरहसे जानते हैं; और उनकी विद्वत्ता तथा कर्मनिष्ठापर तो कोई सन्देह हो ही नहीं सकता। सर फिरोज सेठनाको शिष्टमण्डलमें शामिल करनेका कारण भी आसानीसे समझमें आ जाता है। सर जॉर्ज पैडिसनने पिछले शिष्टमण्डलके कार्यको जिस सुयोग्यतापूर्ण ढंगसे किया था, उसे देखकर उनको इस शिष्टमण्डलमें शामिल करना अनिवार्य था। श्री वाजपेयीको उसका मन्त्री बनाना तो लगभग निश्चित ही था।

इसमें सन्देह नहीं कि शिष्टमण्डलमें जिनको शामिल किया जाना चाहिए था, कुछ ऐसे व्यक्ति शामिल नहीं किये गये हैं। लेकिन यह कोई विशेष महत्त्व की बात नहीं। इतना ही काफी है कि इस शिष्टमण्डलमें जिन लोगोंके नाम शामिल किये गये हैं, वे सबके-सब विभिन्न हितोंका प्रतिनिधित्व करनेवाले अच्छे और खरे व्यक्ति हैं। मैं चाहता हूँ कि इस शिष्टमण्डलको, भले ही हममें से कुछ लोगोंको यह अपर्याप्त और अपूर्ण जान पड़े, जनताका नैतिक समर्थन मिलना चाहिए। अभीतक सभी काम निर्विघ्न रूपसे होते आये हैं और मुझे तो पूरी आशा है कि आगामी सम्मेलनसे दक्षिण आफ्रिकामें रहनेवाले भारतीयों और भारत सरकारको भी अगर वह उन लोगोंकी स्थितिको सुधारनेकी दिशामें अपना कर्त्तव्य पूरा करती है—चैनकी साँस लेनेका मौका मिलेगा। जैसे-जैसे समय गुजरेगा, समझना चाहिए कि न्यायके पक्षको अधिक बल मिलता जायेगा; और न्याय पूर्णतः हमारे पक्षमें ही है।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १८-१०-१९२६
  1. इस भेंटका विवरण अन्य दैनिक समाचारपत्रों में भी प्रकाशित हुआ था।