पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 31.pdf/५६८

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५५२. पत्र: जमनालाल बजाजको

आश्विन सुदी १२, १९८२, [१८ अक्तूबर, १९२६]

चि॰ जमनालाल,

मेरा कलका पत्र तुम्हें मिल गया होगा। यदि समय मिले तो प्रताप पण्डितका चर्मालय देख आना और उनसे पूछ आना कि वे अपना आदमी कब भेजेंगे।

डा॰ रजबअलीने कमलाकी जाँच अच्छी तरहसे की है। चिन्ताका कोई कारण नहीं। उसे उन्हींके इलाजमें रखनेका निश्चय किया गया है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (जी० एन० २८७४) की फोटो-नकलसे।

५५३. पत्र: डा॰ वरदराजुलुको

२० अक्तूबर, १९२६

प्रिय डा॰ वरदराजुलु,

यह पत्र श्री और श्रीमती नायडूके परिचयके लिए है। वे यहाँ अभी-अभी नेटालसे आये हैं और तीर्थोंकी यात्रा करना चाहते हैं।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र (जी॰ एन॰ ७१९३) की फोटो-नकलसे।

५५४. जटिल प्रश्न

एक बहनने, जिन्हें मेरी बुद्धि और सच्चाईपर कुछ भरोसा है, मुझसे चन्द पेचीदा सवाल पूछे हैं। उनका उत्तर न देना अच्छा होता, क्योंकि भय है कि उत्तर पढ़कर अपने स्वत्वोंकी चिन्ता करनेवाले कुछ पति महोदय कहीं क्रुद्ध होकर विवाद न खड़ा कर दें। लेकिन सम्भव है, वे मुझपर दया ही बनाये रहें; क्योंकि वे जानते हैं कि मैं स्वयं भी अपने स्वत्वोंकी चिन्ता रखनेवाला पति रहा हूँ और मैंने बीचमें कुछ खटपट होनेपर भी ४० वर्ष प्रसन्नतापूर्वक गृहस्थ जीवनमें काटे हैं।

इन प्रश्नोंकी मूल भाषा मराठी है। यहाँ उनका स्वतन्त्र अनुवाद दिया जा रहा है। उपयुक्त और सामयिक पहला प्रश्न यह है: