पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 32.pdf/११४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

७४. पत्र : देवचन्द पारेखको

बुधवार [ २४ नवम्बर, १९२६ ][१]

भाईश्री देवचन्दभाई,

तुम्हारा पत्र मिला। जितने लोग आयेंगे उनके ठहरनेका प्रबन्ध यहाँ हो जायेगा। हकीम साहब, डाक्टर अन्सारी आदिके बारेमें विचार करेंगे। तुम सोमवारकी शामको आओगे, यह ठीक है।

गुजराती पत्र ( जी० एन० ५७१०) की फोटो नकलसे।

बापू

७५. टिप्पणियाँ

शास्त्रीको मानपत्र

परम माननीय श्री शास्त्री अपने निजी कामसे अहमदाबाद आये थे। इस अवसरका लाभ उठाकर अहमदाबादके लोगोंने उनको मानपत्र दिया और थैली भेंट की। ऐसा करके उन्होंने अपने आपको ही गौरवान्वित किया है। यह उल्लेखनीय बात है कि इस समारोहमें सभी दलोंके लोगोंने हिस्सा लिया। अच्छा हो कि हम लोग ऐसे अवसरोंका प्रायः लाभ उठायें और राजनीतिक अथवा धार्मिक मतभेदोंके बावजूद आपसी एकताका सबूत दें तथा विभिन्न दलोंके बीच शिष्टतापूर्ण और मैत्रीपूर्ण सम्बन्धोंको बढ़ावा दें।

उपनिवेशों में पैदा हुए हिन्दुस्तानी

दक्षिण आफ्रिकामें पैदा हुए भारतीयोंकी तरफसे मेरे पास एक पत्र आया है, जिसमें 'उन्हें बिलकुल भूल जानेके लिए' उन्होंने मेरी खबर ली है। वे लिखते हैं: हमारी केवल यही इच्छा है कि आपका कमसे कम एक सन्देश हम पा जायें। मुझे इत्मीनान है कि आप हमारी यह अन्तिम प्रार्थना अस्वीकार नहीं करेंगे।

जो प्रेम इस फटकारमें छिपा हुआ है उसकी में कद्र करता हूँ क्योंकि उपनिवेशों में पैदा हुए हिन्दुस्तानियोंसे में एक मजबूत डोरसे बँधा हुआ हूँ। लेकिन मेरे खयालमें उन्हें भेजने योग्य कोई खास सन्देश नहीं था। मेरे अधिकांश सन्देश तो उन

  1. १. डाककी मुहरमें २५ नवम्बर, १९२६, तारीख दी हुई है।